गोरखपुर (ब्यूरो)। यह शौच के रास्ते में होने वाला कैंसर है। गंभीर बात यह है कि दोनों बीमारियों के लक्षण एक जैसे होते हैं। इसमें शौच के रास्ते में बदलाव होता है। शौच से खून आता है। दस्त होता है। मरीज के पेट फूलता है। पेट में दर्द होता है। ऐसा लक्षण होने पर ज्यादातर मरीज पाइल्स का ही इलाज करते हैं। जबकि वह कैंसर से पीडि़त हो सकते हैं। यह कहना हैकैंसर सर्जन डॉ। आलोक तिवारी का। वह शनिवार को रिसेंट एडवांसेज इन कोलोरेक्टल कैंसर पर आयोजित सेमिनार में बतौर विशेषज्ञ संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन नौका विहार स्थित होटल में किया गया। उन्होंने बताया कि पाइल्स के प्रारंभिक इलाज के बाद आराम न मिले तो मरीज को सतर्क हो जाना चाहिए। इस कैंसर से पीडि़त ज्यादातर मरीज स्टेज तीन या चार पर पहुंचने के बाद ही विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करते हैं। उन्होंने बताया कि युवाओं में भी कोलोरेक्टल कैंसर बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह तंबाकू, पान मसाला व जंक फूड के सेवन है। इसके साथ ही मोटापा से भी यह कैंसर हो रहा है। गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ। शिवम वर्मा ने बताया कि झोलाछाप पाइल्स के इलाज का दावा करते हैं। वह महीनों तक मरीज को अनाप-शनाप दवाएं देते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर और पाइल्स के लक्षण एक जैसे होने के कारण मरीज की स्थिति बिगडऩे लगती है। कैंसर शरीर में फैल जाता है। मेडिकल आंकोलॉजिस्ट डॉ। सौरभ मिश्रा ने बताया कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को अगर शरीर में खून की कमी हो रही हो तो क्लोनोस्कोपी जरूर करना चाहिए। इसे शौच के रास्ते में आ रहे बदलाव का पता चल जाता है। इसका इलाज सर्जरी के साथ ही दवाओं से भी होता है। परहेज कर कैंसर से बचाव भी हो सकता है। कार्यशाला में डॉ इला तिवारी, डॉ। अंजलि जैन, डॉ। शाहनिका, डॉ। अनुज सरकारी, डॉ। सुनील केजरीवाल, डॉ। एके मल्ल, डॉ। विवेक मिश्रा मौजूद रहे।