गोरखपुर (ब्यूरो)। कुछ ऐसे कंज्यूमर्स, मीटर रीडर्स की मिलीभगत से मीटर्स में रीडिंग स्टोर कर नो डिस्प्ले कराकर मीटर बदल कर निगम को राजस्व की चपत लगाते हैं। इस तरह के सैकड़ों मामले पकड़े जा चुके है। इंजीनियर्स का कहना है कि अबतक परीक्षण खंड के पास कोई ऐसा उपकरण नहीं था जिसके माध्यम से नो डिस्प्ले मीटर्स से स्टोर रीडिंग निकाली जा सके। कई बार कंपनियों को मीटर भी भेजा गया पर वहां से कोई रिपोर्ट नहीं आई। अब मीटर बनाने वाली कंपनियों ने ऐसा उपकरण उपलब्ध करा दिया है। उसके जरिए नो डिस्प्ले मीटर ओवरहीट देकर बंद किया गया हो गया किसी अन्य जुगाड़ से बंद कर नो डिस्प्ले किया गया है। सभी मीटर्स से स्टोर रीडिंग निकाली जा सकती है। फिलहाल, महानगरीय वितरण मंडल में हर माह 250 से 300 बिजली मीटर्स को नो डिस्पले दिखाकर बदला जाता है।
नो डिस्प्ले मीटरों के नाम पर चल रहे खेल को खत्म करने के लिए परीक्षण खंड में अत्याधुनिक लैब तैयार की गई है। इसमें लगी मशीने नो डिस्प्ले मीटर्स में दर्ज रीडिंग स्टोर को निकाल देगी। इससे परीक्षण खंड के जूनियर मीटर टेस्टरों की कार्यप्रणाली में सुधार होने के साथ ही राजस्व क्षति को रोका जाएगा।
ई। आशु कालिया, चीफ इंजीनियर जोन फस्ट