गोरखपुर (ब्यूरो)।ठंड के असर से बीमार पड़ रहे लोगों को देर रात दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ठंड का शिकार हुए लोगों से वार्ड भरा हुआ है। जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी भी इन दिनों हाउसफुल हो चुकी है। बेड के लिए दिन हो या रात मरीजों के साथ तीमारदारों को इंतजार करना पड़ रहा है।

केस - 1

गोपालगंज के रहने वाले पंडित राय की तबियत खराब हो गई। परिजन उन्हें लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी पहुंचे। लेकिन रात के समय उन्हें बेड नहीं मिला। इसके बाद परिजन बेड के लिए काफी देर तक इंतजार करते रहे। घंटों बाद किसी तरह से उन्हें वार्ड के चेयर पर भी इलाज शुरू किया। इसके बाद उन्हें कार्डियक वार्ड में खाली बेड पर भेज दिया गया।

केस - 2

सहजनवां की रहने वाले यशोदा देवी अस्थामा से ग्रसित थी। ठंड की वजह से उनकी तबियत खराब हो गई। उन्हें भी अस्पताल के इमरजेंसी में परिजन लेकर पहुंचे लेकिन बेड नहीं होने की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। काफी मुश्किलों के बाद उनका इलाज शुरू हो सका, देर रात में उन्हें रूम में शिफ्ट किया गया।

करीब 200 मरीज पहुंचे इमरजेंसी

मौसम के असर से पहले से बीमार लोगों की परेशाानी बढ़ गई है। सिर्फ 24 घंटों में इमरजेंसी में पेशेंट्स तेजी से पहुंचे हैं। सात जनवरी को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करीब 1200 लोग इलाज के लिए पहुंचे, इसमें करीब 180 मरीज इमरजेंसी में पहुंचे थे। वहीं 7 की सुबह से अगले दिन की सुबह तक इमजरेंसी में पहुंचने वालों की तादाद करीब 190 के आसपास रही। इस तरह रात में भी इलाज के लिए करीब 10 लोगों को अस्पताल पहुंचने की जरूरत पड़ गई।

सांस की परेशानी ज्यादा

ठंड की वजह से जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में युवा, महिला, बुजुर्ग और बच्चों भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा सांस के मरीज पहुंच रहे हैं। उधर जिला अस्पताल इमरजेंसी में भी बेड खाली नहीं है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जा रहा है। ठंड की वजह से जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीजों की बाढ़ सी आ गई है। अगर जिला अस्पताल की बात की जाए तो दो दिन में चेस्ट पेन के 6 मरीज, न्यूरो के दो, सांस के 4 और हाई फीवर के छह मरीज भर्ती किए गए। वहीं, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी ने डेली 40 से 50 मरीज अलग-अलग बीमारियों के एडमिट किए जा रहे हैं।

स्मॉग बढ़ा रहा परेशानी

इस समय सबसे ज्यादा प्रॉब्लम जॉगर्स और मॉर्निंग वॉकर्स को हो सकती है। यह समय ऐसा है जब ओस गिर रही है। इस दौरान खुले सिर बाहर टहलने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इसके साथ ही ह्यूमन स्किन पर जब यह पड़ रहा है तो इससे स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम भी सामने आ रही हैं। वहीं आंखों पर लगने से आखों में जलन के साथ कई और प्रॉब्लम हो सकती है।

टेंप्रेचर डिफरेंस बढ़ा सकता है परेशानी

मौसम की उठा-पटक का असर भी गोरखपुराइट्स पर पिछले कुछ दिनों से साफ नजर आ रहा है। सुबह और शाम के टेंप्रेचर चेंज की वजह से बच्चे-बूढ़े लोगों के साथ ही दमा और कार्डिएक पेशेंट्स की परेशानी बढ़ गई। पॉल्युशन और फॉग के कॉम्बीनेशन से बना स्मॉग लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ा रहा है। एटमॉस्फियर में पॉल्युशन पार्टिकिल्स के साथ ही ओस और हवा लोगों पर एक साथ अटैक कर रही है, जिसकी वजह से सांस लेने की प्रॉब्लम के साथ ही गला चोक, दम घुटने जैसे कई केसेज सामने आ रहे हैं। जिसे दिखाने के लिए लोगों की लंबी लाइन अस्पतालों के बाहर लगी नजर आई।

इन्हें होती है ज्यादा प्रॉब्लम

8 साल से छोटे बच्चे

50 साल से ज्यादा बड़े व्यक्ति

दमा पेशेंट्स

कार्डिएक पेशेंट्स

यह होती है प्रॉब्लम -

- एलर्जी

- फीवर

- नाकों में जलन

- वायरल इंफेक्शन

- मिजल्स

- वूफिंग कफ

- स्किन रैशेज

- खुजलाहट

क्या बरतें सावधानी

- पूरे शरीर को ढंक कर चलें जिससे म्वाइस्ट एयर न कॉन्टैक्ट होने पाए

- धूप निकलना शुरू न हो जाए तब तक बाहर निकलना अवाइड करें।

- ढके बदन और नाक मुंह पर कपड़ा बांधकर ही वॉकिंग के लिए जाएं।

- सिर को ढंक कर निकलें।

- गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट पहने जिससे दोनों ही कंडीशन में बचा जा सके।

- कोई प्रॉब्लम हो रही है, तो चिकित्सक की सलाह लें।

- बच्चों को खुले में न टहलाएं और कवर किए रहे।

इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इस समय मरीज बढ़े हैं इसलिए बेड खाली नहीं रह रहा है। मजबूरी में मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है।

- डॉ। अम्बुज श्रीवास्तव, सीएमएस जिला अस्पताल