गोरखपुर (ब्यूरो).प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट अब किसानों को मिलने वाली किसान सम्मान निधि समेत सभी योजनाओं से वंचित करने में जुट गया है। अफसरों का कहना है कि जमीन में सूक्ष्म जीवांश, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम की मात्रा घटती जा रही है। ऐसे में कृषि अवशेष खेत में जलाने के बजाए उसे जैविक खाद के रूप में तब्दील करने कृषि वैज्ञानिक जोर दे रहे हैं। इससे खेतों को फायदा तो होगा ही, किसान पर्यावरण में जहर घोलने से भी बच जाएंगे। खेतों में कृषि अवशेष जलाए जाने से अबोहवा में जहर घुल रहा है।

2 किसानों ने जलाई पराली, एक पकड़ाया

जिले में सेटेलाइट से दो किसानों के पराली जलाने का मामला सामने आया है। एक किसान की पुष्टि हो गई है, जबकि दूसरे को चिह्नित किया जा रहा है। विभाग के अफसरों के अनुसार विकास खंड भटहट के ग्राम पंचायत जंगल डुमरी नंबर एक के मनोहर ने दो नवंबर को खेत में पराली जलाई। सेेटेलाइट से खींची गई तस्वीर से मामला पकड़ में आया। क्षेत्रीय कार्मिक द्वारा किए गए निरीक्षण में भूस्वामी मनोहर की पुष्टि होने पर कार्रवाई के लिए एसडीएम सदर को रिपोर्ट दी गई। साथ ही रिपोर्ट को उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए अपात्र करने एवं कृषि व अन्य संबंधित विभाग की समस्त योजनाओं के लाभ से वंचित करने के लिए भेज दिया गया है।

पराली को बनाएं खाद

फसल की कटाई के बाद खेत में बचे अवशेष आदि को सड़ाने के लिए किसान 20-25 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़ककर कल्टीवेटर या रोटावेट रसे मिट्टी में मिला दें। इस प्रकार अवशेष खेत में सडऩा शुरू हो जाएंगे। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अफसरों ने बताया कि एक ग्राम मिट्टी में 11 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं। पराली में आग लगाने से सभी नष्ट हो जाते हैं। इससे आगे पैदावार में कमी आनी भी शुरू हो जाती है। पॉल्युशन से सांस लेने की समस्या होती है। फेफड़े की बीमारी, आंखों में जलन, गले में समस्या होती है।

पराली जलाने पर ये भरना होगा जुर्माना

पराली जलाने पर एक एकड़ तक खेत वाले किसान को 2500 रुपए

एक एकड़ से अधिक खेत होने पर किसान को 5000 रुपए

इन योजनाओं से हो जाएंगे वंचित

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि

प्रधानमंत्री किसान खाद योजना

ड्रिप स्प्रिंकलर सिंचाई योजना

मिली ग्रीन ट्यूबवेल योजना

मुफ्त जुताई और बुआई योजना

मुख्यमंत्री कृषक योजना

प्रधानमंत्री फसल योजना

पराली जलाने वालों किसानों को सभी योजनाओं से वंचित कर दिया जाएगा। पराली जलाने से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, साथ ही मिट्टी उर्वरा शक्ति भी खत्म हो रही है। किसानों से अपील है कि पराली न जलाएं बल्कि खेतों में उसे सड़ाकर खाद बनाएं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और पैदावार भी खूब बढ़ेगी।

अरविंद कुमार सिंह, डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर

शहर का एक्यूआई 127

दिवाली से गड़बड़ हुई शहर ही आबोहवा छठ के बाद भी नहीं सुधर सकी है। हालांकि, इसमें सुधार जरूर हुआ है लेकिन एक बार फिर एक्यूआई बढऩे से प्रदूषण बढऩे की चिंता सताने लगी है। शनिवार शाम को एक्यूआई 127 रहा। वहीं, कुछ दिनों से एक्यूआई 117 से 125 के आसपास रहा। बता दें कि दिवाली में गोरखपुर का एक्यूआई करीब 250 के पार पहुंच गया था।

क्या होता है एक्यूआई

एक्यूआई एक नंबर होता है, जिसके जरिए हवा की गुणवत्ता पता लगाई जाती है। साथ ही इसके जरिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है। हर शहर का एक्यूआई वहां मिलने वाले प्रदूषण कारकों के आधार पर अलग-अलग होता है।

एक्यूआई रेंज हवा का हाल स्वास्थ्य पर संभावित असर

0-50 अच्छी है बहुत कम असर

51-100 ठीक है संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत

101-200 अच्छी नहीं है फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत

201-300 खराब है लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत

301-400 बहुत खराब है लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा

401-500 खतरनाक है स्वस्थ आदमी पर भी असर, पहले से बीमार हैं तो ज्यादा खतरा