गोरखपुर (ब्यूरो)। उसने कई और बैंकों से ऐसे ही जालसाजी की है। दो और बैंकों ने भी पुलिस से संपर्क किया है। अब पुलिस उनके प्रार्थना पत्र के इंतजार में है, जिसके बाद जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। उधर, आईसीआईसीआई बैंक के दो कर्मचारियों से पुलिस ने फिर पूछताछ की है।

गाड़ी फाइनेंस कराकर की थी जालसाजी

दरअसल, बोक्टा के एक बैंक से भी गाड़ी फाइनेंस कराकर जालसाजी की गई है। इसके अलावा एक अन्य प्राइवेट बैंक से भी इसी तरह की जालसाजी की बात सामने आई है। लेकिन, अभी किसी ने प्रार्थना पत्र नहीं दिया है, इस वजह से इसकी जांच अभी आगे नहीं बढ़ पाई है। पुलिस आरोपी रुद्रांश के माता-पिता की तलाश भी तेज कर दी है। रुद्रांश के बांसगांव के बगही गांव पर भी पुलिस गई थी। वहां पर भी उसके बारे में जानकारी पुलिस ने हासिल किया है। गांव से भी पुलिस को परिवार द्वारा जालसाजी की जानकारियां मिली है और कुछ दस्तावेज भी हाथ लगे हैं। इसी आधार पर पुलिस अब पूरे जांच को आगे बढ़ा रही है।

मां ने भी की थी 100 करोड़ की जालसाजी

पुलिस को पता चला है कि रुद्रांश की मां का असली नाम अर्चना पांडेय था। लेकिन, जालसाजी के मामले में ही फंसने के बाद उसने अपना नाम बदल कर बच्ची पांडेय कर लिया। इसी नाम पर वह चुनाव लड़कर प्रधान भी हुई थी। लेकिन, इसके बाद ही 100 करोड़ के जालसाजी के मामले में वह पकड़ी गई और फिर पूरा परिवार गांव से दूरी बना लिया।

अप्लीकेशन के आधार पर होगी कार्रवाई

एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया, इस मामले में कई और बैंकों से जालसाजी की जानकारी हुई है। जो भी प्रार्थना पत्र देगा, उसी आधार पर पुलिस जांच को आगे बढ़ाएगी। पुलिस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच कर रही है। साक्ष्यों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई भी की जाएगी।