गोरखपुर (ब्यूरो)। वहीं, दो माह पहले तक सात सौ रुपये प्रति किग्रा तक बिकने वाला मखाना एक हजार से 1400 रुपये के भाव बिक रहा है। कारोबारी जहां काजू की कीमतों में उछाल का कारण कर्नाटक के मैंगलोर में काजू की 70 से 80 प्रतिशत फसल खराब होना बता रहे हैं वहीं मखाने में आई तेजी से व्यापारी अधिक मखाना मंगाने से बचने लगे हैं। उन्हें डर है कि कहीं अधिक स्टाक हो जाने के बाद भाव में गिरावट आइ तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। बाजार के जानकारों के मुताबिक मखाने की खेती अगस्त माह में शुरू होती है। इस कारण फिलहाल मखाने के भाव में तेजी बने रहने के आसार हैं।
विदेशों से होता है आयात
पूर्वांचल के काजू के बड़े कारोबारी गोपाल जायसवाल ने बताया कि काजू की फसल खराब होना व विदेशों से आयात न होना काजू में तेजी का प्रमुख कारण है। हालांकि यह पहली बार है जब काजू की कीमतों में इतनी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि सितंबर माह से तंजानिया, घाना, एवरीकास्ट व ब्राजील से काजू का आयात शुरू हो जाएगा। इसके बाद ही काजू की कीमतों में कमी की उम्मीद जताई जा रही है। फिलहाल जुलाई में लगन में लोगों को महंगे काजू से काम चलाना होगा.दरभंगा बिहार के मखाना कारोबारी विजय राज ने बताया कि जुलाई के अंत तक मखाने की नई फसल आने तक भाव में गिरावट की उम्मीद नहीं है। बाजार में फसल के मुताबिक ही गिरावट होने की संभावना है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार किसानों ने मखाने की दोगुणी खेती की है। किराना व्यापारी निकुंज टेकड़ीवाल ने बताया कि इस बार मखाने की फसल अच्छी नहीं हुई है। जिससे फिलहाल मखाने में तेजी देखी जा रही है। नई फसल आने तक फिलहाल तेजी की उम्मीद है। कीमत बढऩे जो लोग हर माह मखाना ले जाते थे उन्होंने इसमें कटौती कर दी है। आने वाले त्योहारी सीजन व लगन में काजू व मखाना के भाव में राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।