गोरखपुर (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आइनेक्स्ट सड़कों पर ट्रैफिक नियमों की अनदेखी तो आम बात है, सरकारी गाडिय़ों में न तो नियम के हिसाब से नंबर प्लेट लगी है और न ही फिटनेस का ही कोई अता-पता है, इसके बाद भी गाडिय़ां सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के फोटोजर्नलिस्ट ने ऐसी कई गाडिय़ों को अपने कैमरे में कैद किया, जिसमें हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगी हुई थी, इसके बाद भी यह गाडिय़ां सरकारी और प्रशासनिक आयोजनों में दौड़ लगा रहीं थीं। बड़ा सवाल है कि दूसरों का चालान काटने वाली पुलिस इन वाहनों का चालान कब काटेगी।

नहीं है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम की पड़ताल में सामने आया कि ज्यादातर सरकारी वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट तक नहीं है। कई सरकारी वाहनों में पॉल्युशन सर्टिफिकेट न होने जैसे कई खामियां भी मिली हैं। इसके अलावा कई दफा रेड सिग्नल जंप, ओवर स्पीड, रॉन्ग साइड ड्राइविंग, गाड़ी के दस्तावेज न होने के भी मामले तो आम बात हैं। सबकुछ जानने के बाद भी आला अधिकारियों की दखलअंदाजी से ऐसी गाडिय़ों की न तो चेकिंग होती है और न ही चालान काटा जा रहा है। अगर अभियान चलाकर गाडिय़ों की चेकिं्रग की जाए, तो हजारों की संख्या में ऐसी गाडिय़ां पकड़ी जाएंगी।

आम आदमी की गाड़ी सीज

आरटीओ और ट्रैफिक विभाग सरकारी गाडिय़ों में नियम की अनदेखी को नजर अंदाज कर दे रहे हैं, लेकिन वही अगर यह गाड़ी किसी आम आदमी की है तो फटाफट चालान का मैसेज उसके मोबाइल पर पहुंच जाएगा। वहीं अगर गाड़ी नो पार्किंग में है तो गाड़ी को सीज कर दिया जाएगा, जबकि सरकारी गाडिय़ों के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। ट्रैफिक पुलिस आए दिन ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने के लिए चेकिंग अभियान चला रही है, लेकिन उन्हें सरकारी महकमों में चलने वाली गाडिय़ां नजर ही नहीं आ रही हैं। जबकि पुलिस अधिकारियों के मुताबिक चेकिंग के दौरान ट्रैफिक नियमों को तोडऩे वाली हर गाड़ी का चालान किया जाता है। इसमें ये नहीं देखा जाता है कि गाड़ी सरकारी है या प्राइवेट पर सच यह है कि सिर्फ आईटीएमएस के माध्यम से ही सभी गाडिय़ों का चालान हो पाता है। ऑनलाइन कैमरे में ये नहीं पता चलता कि नियम तोडऩे वाली गाड़ी सरकारी है या गैर सरकारी। लेकिन चालान के आंकड़े कुछ और कहानी बयां करते हैं।

चालान का नियम

ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अगर कोई सरकारी गाड़ी ट्रैफिक नियमों को तोड़ती है, तो उससे जुर्माने की रकम दोगुना ली जाती है। जब पुलिस अधिकारियों से इस बारे मेें पूछा गया तो उनके पास सरकारी गाडिय़ों के चालान काटने का कोई आंकड़ा नहीं था। जिले में पुलिस विभाग के वाहन बेड़े में 112 के तहत 48 फोर व्हीलर और 31 टू व्हीलर वाहन चल रहे हैं। कुछ टू व्हीलर पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगी है, लेकिन एक भी फोर व्हीलर पर यह नहीं लगी है।

स्वास्थ्य विभाग भी सुस्त

जिला स्वास्थ्य विभाग में 96 एंबुलेंस चल रही है। इसमें 50 एंबुलेंस 102 नंबर और 46 एंबुलेंस 108 नंबर की है। इनमें अधिकतर पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं हैं। वहीं सरकारी वाहनों से चलने वाले कई अधिकारियों के भी फोर व्हीलर में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगे हैं। हेल्थ विभाग का दावा है कि जिन वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगे हैं उनमें जल्द ही लगवाए जाएंगे।

200 सरकारी रजिस्टर्ड वाहन

02 गुना जुर्माना भरने का नियम

ट्रैफिक पुलिस सरकारी गाडिय़ों का चालान नहीं काटती है। यदि आम पब्लिक का हो तो आसानी से चालान काट देती है। इस ओर भी उन्हें सोचना चाहिए और ट्रैफिक पुलिस को ठोस कदम उठाना चाहिए।

कौशलेंद्र पांडेय, पादरी बाजार

ट्रैफिक को लेकर नए-नए नियम बनाए जाते हैं। इसके बावजूद भी जाम का सामना करना पड़ता है। पुलिस को सख्त होने की जरूरत है। चालान कर देना चाहिए, नियम सबके लिए बराबर है।

रूद्रा शुक्ला, बरगदवा

आम पब्लिक का चालान हो आसानी से काट दिया जाता है, लेकिन सरकारी विभागों की ओर ध्यान तक नहीं दिया जाता है और उनका चालान भी नहीं काटता जाता है। सभी को एक समान देखना चाहिए।

राहुल अग्रवाल, राप्तीनगर

सरकारी गाडिय़ों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य है। जिन वाहनों में नंबर प्लेट नहीं लगाए गए हैं, उन विभागों को नोटिस जारी कर दी गई है। ताकि वह तत्काल अपने वाहनों को हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवा ले। चेकिंग के दौरान पकडऩे जाने पर चालान की कार्रवाई की जाएगी।

नरेंद्र यादव, एआरटीओ प्रवर्तन

ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने वाले सरकारी और गैर सरकारी वाहनों का चालान काटा जाता है। साथ ही उनके भी खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। नियम सबके लिए बराबर है।

- श्याम देव, एसपी ट्रैफिक