गोरखपुर (ब्यूरो)। गुरुवार को वह बस के टाइम पर चौराहे पर खड़े होकर बस का इंतजार करने लगे, लेकिन जब बस नहीं आई तो इसके बारे में कुछ लोगों से बात की। उन्हें पता चला कि इलेक्ट्रिक बस के ड्राइवर हड़ताल पर हैं। इसके बाद वह मजबूरी में ऑटो पकड़ कर कॉलेज पहुंचे। यह एक ही केस नहीं हैं। इस तरह के कई लोग है जो डेली ऑफिस और कॉलेज जाने के लिए ई-बस में ही सफर करना पसंद करते हैं। जिसको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

एक माह से नहीं मिली सैलरी

सिटी की लाइफ लाइन बन चुकी इलेक्ट्रिक बस के ड्राइवर्स पिछले एक माह से वेतन का इंतजार कर रहे हैं। गुरुवार की सुबह 6 बजे से इलेक्ट्रिक बस के ड्राइवर्स को वेतन न मिलने से हड़ताल पर चले गए। इसके चलते ऑफिस और कॉलेज जाने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि एवोल्ट मोबिलिटी प्राइवेट कंपनी कोई सुनवाई नहीं कर रही है। संचालन पूरी तरह से ठप होने के बाद अफसरों को कान खड़े हो गए। मौके पर पहुंचे सफर ड्राइवर्स को मानमनौवल करने में लगे रहे। दोपहर करीब 1.30 बजे आश्वासन के बाद बात बनी। इसके बाद ड्राइवर्स ने इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू कर दिया। संचालन ठप होने से करीब 1 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।

करते रहे बस का इंतजार

प्रतिदिन की तरह गुरुवार की सुबह 6 बजे ऑफिस और कॉलेज के लिए जाने वाले लोग इलेक्ट्रिक बस पकडऩे के लिए निर्धारित स्टापेज पर पहुंचे। घंटों ई-बस का इंतजार करने के बाद बस नहीं मिली तो उन्हें मजबूरी में ऑटो का सहारा लेना पड़ा। चिलचिलाती धूप और गर्मी में गोरखपुराइट्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ड्राइवर्स के हड़ताल की सूचना मिलने के बाद आरएम लव कुमार सिंह, नोडल महेश चंद्र और ऑपरेशन मैनेजर कृष्ण नारायण राय मौके पर पहुंचे। ड्राइवर्स की मांग थी कि समय से वेतन का भुगतान किया जाए और दुर्घटना के दौरान बस में क्षति होने पर ड्राइवर्स के वेतन से कटौती ना किया जाए। आरएम के आश्वासन के बाद इलेक्ट्रिक बस ड्राइवर्स ने हड़ताल समाप्त कर करीब 1.30 बजे बसों का संचालन शुरू कर दिया।

दिक्कतों का करना पड़ा सामना

मौजूदा समय सिटी में 25 इलेक्ट्रिक बसे चल रही है। औसतन 9 हजार से 10 हजार लोग डेली सफर करते हैं। इन बसों में 4.30 रुपए प्रति किलोमीटर पर सेवाएं देने वाले 25 ड्राइवर तैनात है। हर दिन औसतन 1.90 लाख रुपए भाड़ा के रूप में मिलता है। ड्राइवर्स का आरोप है कि दिल्ली की एवोल्ट मोबिलिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा इलेक्ट्रिक बसों में उनकी सेवाएं दी जा रही है। लेकिन कंपनी समय से वेतन नहीं दिया है। साथ ही दुर्घटना में बस में नुकसान होने पर वेतन से कटौती कर ली जाती है। उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। आवाज उठाने पर उत्पीडऩ किया जाता है।

गर्मी में एसी इलेक्ट्रिक बस में ही सफर करना पसंद करते हैं। ड्राइवर्स की हड़ताल की वजह से बस नहीं मिलने से ऑटो में सफर करना मजबूरी बन गई।

- अमन त्रिपाठी, पैसेंजर

हमें कॉलेज जाना था इसलिए समय से ही निर्धारित स्टापेज पर पहुंच गया। घंटों इंतजार करने के बाद भी इलेक्ट्रिक बस नहीं मिली। इसके बाद पैदल ही कॉलेज के लिए निकल पड़ा, इससे काफी दिक्कत हुई।

- ध्यानचंद, पैसेंजर

टीपीनगर चौराहे पर खड़े होकर इलेक्ट्रिक बस का इंतजार कर रहा था। मगर बस नहीं मिली। चिलचिलाती गर्मी में परेशानी का सामना करना पड़ा।

- अंशु कुमार , पैसेंजर

इलेक्ट्रिक बस ड्राइवर्स की हड़ताल से सफर करने वाले अन्य पैसेंजर्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बस नहीं मिलने से अधिकांश को ऑटों का सहारा लेना पड़ा है।

- राजेश कन्नौजिया, पैसेंजर

प्राइवेट कंपनी द्वारा इलेक्ट्रिक बस के चालकों का समय से वेतन भुगतान नहीं होने से स्ट्राइक पर चले गए। कंपनी के अफसरों से बात की गई, जल्द ही वेतन भुगतान कर दिया जाएगा। आवश्वासन के बाद सिटी बस का संचालन शुरू करवा दिया गया है।

- लव कुमार, कार्यपालक इलेक्ट्रिक सिटी बस संचालन समिति

वसूला मनमाना किराया

इलेक्ट्रिक बस चालकों की हड़ताल की वजह से ई-रिक्शा और ऑटों चालकों ने फायदा उठाकर पैसेंजर्स से मनमाना किराया वसूला। मनमाना किराया नहीं देने पर पैसेंजर्स के साथ दुव्र्यवहार भी किया। विरोध करने पर विवाद करने पर अमादा हो गए। इससे पैसेंजर्स की परेशानी बढ़ गई। सिटी एरिया में किराया का निर्धारण नहीं होने से इसके चालकों की मनमानी रूकने का नाम नहीं ले रही है।

हर महीने वेतन की मांग की जाती है लेकिन समय से कंपनी की तरफ से वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। मजबूरी में हमें स्ट्राइक करना पड़ा। अधिकारियों के आश्वासन पर हड़ताल खत्म का बसों का संचालन शुरू कर दिया गया है।

- अभिषेक यादव, ई-चालक