गोरखपुर (ब्यूरो).इस संबंध में दोनों संस्थानों के बीच गुरुवार को एमओयू का आदान प्रदान हुआ। एमओयू पर रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ। रजनीकांत और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ। अतुल वाजपेयी ने हस्ताक्षर किए।

ताकि बीमारियों की लगाया जा सके पता

इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों ने अर्से तक ईस्ट यूपी, नेपाल की तराई और पश्चिमी बिहार पर बीमारू का दाग चस्पा कर रखा था। हालांकि 2017 इन बीमारियों का प्रभाव काफी हद तक नियंत्रण में है। खासकर सर्वाधिक कहर बरपाने वाली इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों पर 95 फीसदी से अधिक नियंत्रण पा लिया गया है। पर, सरकार की मंशा इन सभी बीमारियों के मूलोच्छेदन की है।

जड़ तक पहुंचेगा शोध

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की इस केस स्टडी का यह दायरा आईसीएमआर-आरएमआरसी के साथ हुए एमओयू से बड़े पैमाने पर शोध के रूप में और विस्तृत हो जाएगा। एमओयू के तहत दोनों संस्थान विषाणु जनित रोगों के मूल कारणों का पता लगाने, उनसे बचाव और बीमारी होने पर इलाज की दिशा में मिलकर अनुसंधान कार्य करेंगे। एमओयू के आदान प्रदान के अवसर पर आईसीएमआर-आरएमआरसी के निदेशक डॉ। रजनीकांत ने कहा कि इस करार के होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश की बीमारियों के जड़ पर चोट लगने की रफ्तार और तेज होगी। इस आपसी समझौते से उच्च शिक्षा, रिसर्च, फैकल्टी के आदान प्रदान से दोनों संस्थाएं लाभान्वित होंगी।

सिर्फ डिग्री बांटने वाला नहीं होगा केंद्र

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ। अतुल वाजपेयी ने कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ डिग्री बांटने का केंद्र नहीं बनेगा बल्कि लोक स्वास्थ्य समेत सभी सामाजिक सरोकारों को पूरी प्रतिबद्धता से निभाएगा। इस दौरान महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ। प्रदीप कुमार राव, आरएमआरसी के वैज्ञानिक डॉ। हिरावती देवल, डॉ। महेंद्रा एम, डॉ। गौरव राज द्विवेदी, डॉ। अशोक पांडेय आदि मौजूद रहे।