गोरखपुर (ब्यूरो)। खर्च हो गए 16 लाख

टूरिस्ट का बढ़ावा देने के लिए सात मई 2022 को 2.92 करोड़ की लागत से 12 मीटर लंबाई और 36 सीट वाली दो इलेक्ट्रिक बसें बेड़े में शामिल की गई थी। बस खड़े-खड़े पुर्चे खराब हो गए। इसके मेंटेनेंस पर लगभग 16 लाख खर्च हुए। इसके बाद भी बसों को नहीं चलाया जा सका। इसका सच जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम गुरुवार की दोपहर महेसरा इलेक्ट्रिक डिपो पहुंची। परिसर में एक छोर पर दोनों बसें खड़ी मिली। दोनों बसें धूल से पटी हुई थी। चारों तरफ मकडज़ाल से घिरा नजर आया। जब बस का दरवाजा खोल कर अंदर एंट्री किया तो देखा कि ड्राइवर सीट के सामने मकडज़ाल लगा नजर आया। पैसेंजर्स सीट पर धूल की मोटी परत दिखाई दी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि करोड़ों की मंगाई बसें कबाड़ हो रही है मगर जिम्मेदार अफसरों का इस तरफ ध्यान नहीं है।

बस की बैट्री डाउन

टूरिस्ट बस की कंडीशन ठीक नहीं है। बैट्री भी पूरी तरह डाउन हो गई हैं। उधर, इलेक्ट्रिक बस के एक्सपर्ट का दावा है कि बसों को हर हफ्ते चार्ज कर परिसर में ही चलाई जाती है। लेकिन बस की कंडीशन देखने से लगा कि बसों की न तो साफ-सफाई होती है और न ही उसे चार्ज कर चलाया ही जाता है। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते ये बसें दमतोड़ रही हैं।

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का पता नहीं

टूरिज्म बस बेड़े में शामिल होने के बाद भी इन बसों में हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट तक नहीं लग सका है। जबकि अफसरों का कहना है कि बीमा खत्म होने की वजह से बसें सड़क पर नहीं चलाई गई। इसके लिए नगर निगम और निदेशालय को भी पत्र लिखा गया। बावजूद बीमा का पैसा नहीं मिलने की वजह से ये बसें सड़कों पर नहीं दौड़ पाई।

एक साल 54 लोग कर सकते हैं सफर

वर्तमान में संचालित हो रही ई-बसों की तुलना में यह स्पेशल बस करीब डेढ़ गुना ज्यादा क्षमता की है। एक बस की कीमत एक करोड़ 38 लाख रुपए है। 26 सीटर बस में एक साथ 54 लोग सफर कर सकते हैं।

खिचड़ी मेले में टूरिस्ट बस का हुआ था ट्रायल

पूर्व नगर आयुक्त ने खिचड़ी मेले के लिए टूरिस्ट ई बस का का हरी झंडी दिखाकर ट्रायल कराया था। लेकिन यह बस ट्रायल तक ही सिमट गई। इस बस को प्रॉपर तौर पर संचालित नहीं किया जा सका। यही कारण है कि हाईटेक टूरिस्ट बस डिपो में खड़ी है।

ई-टूरिस्ट बस सेवा

- गोरखनाथ मंदिर

- रेल म्यूजियम

- रामगढ़ताल

- राजकीय बौद्ध संग्रहालय

- चिडिय़ाघर

- एयरपोर्ट

टूरिस्ट बस के कुछ पार्ट्स खराब हो चुके थे। जिससे कंपनी द्वारा ठीक कराया जा चुका है। बस का बीमा खत्म हो चुका है। बीमा, टैक्स, फिटनेस के लिए परिवहन निदेशालय से साढ़े पांच लाख रुपए डिमांड की गई। बजट मिलने के बाद बसों का संचालन शुरू हो जाएगा।

लव कुमार सिंह, कार्यपालक अधिकारी, सिटी ई-बस संचालन समिति