गोरखपुर (ब्यूरो)। जबकि आरटीओ प्रशासन का यह दावा था कि सिटी में बढ़ते ई-रिक्शा को पांच जोन में रूट डिसाइड कर उनका संचालन किया जाना था। लेकिन बीते दो साल से आरटीओ डिपार्टमेंट के जिम्मेदारों के उदासीन रवैये कारण इस समस्या का समाधान आज तक नहीं किया जा सका है। जबकि आरटीओ प्रशासन व यातायात पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर होने का दावा करते रहते है। दरअसल, सिटी में चलने वाले ई-रिक्शा के संचालन के लिए जोन और रूट मैप तैयार किया गया था। इसके लिए आला अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर भी जारी रहा। लेकिन दो साल में भी न तो रूट डिसाइड हो सका है और ना ही इनके मनमानी संचालन पर लगाम लगाया जा सका है। जिसका खामियाजा पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है।

मनमाने तरीके से चल रहे 10 हजार ई-रिक्शा

बता दें, सिटी में मनमाने ढ़ंग से चल रहे लगभग 10 हजार से उपर ई-रिक्शा ड्राइवर न सिर्फ जाम बढ़ा रहे हैं बल्कि हादसे को भी दावत दे रहे हैं। अनटे्रंड डाइवर्स के पास न तो डीएल है और ना ही इनके पास ट्रैफिक सेंस, जहां मर्जी हुआ कट मारकर पीछे या सामने से आने वाले राहगीरों को यह घायल कर देते है। कई बार इनके बेतरतीब ड्राइविंग से लोग बड़े हादसे के शिकार भी हो जाते है। लेकिन जिला प्रशासन और आरटीओ प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ टालमटोल करता हुआ दिखाई दे रहा है।

आरटीए की बैठक में कई बार हुए निर्णय

एक दिसंबर 2022 को आरटीए की बैठक में ई-रिक्शा संचालन के लिए जोन व रूट निर्धारण का निर्णय लिया गया था। एक माह के अंदर प्रक्रिया पूरी होनी थी, लेकिन दो साल से अधिक हो गए, न जोन निर्धारित हो पाए और न रूट का निर्धारण हो सका। आरटीओ ने पांच जोन में 22 रूट का निर्धारण कर ई-रिक्शा के कलर रंग का भी चयन कर प्रपोजल तैयार कर लिया है। लेकिन प्रपोजल फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा।

ऑटो एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आपत्तियां भी दर्ज कराई थीं, लेकिन उसका भी निस्तारण नहीं हो पाया। आज स्थिति यह है कि ई-रिक्शा सिटी की सड़कों, चौराहों और गलियों में मनमाने ढ़ंग से चल रहे हैं। ई-रिक्शा लोगों का व्यवसाय बन गया है। एक संचालक के पास दो-दो दर्जन ई-रिक्शा हैं। आरटीओ ने अब एक व्यक्ति के नाम एक ही ई-रिक्शा पंजीकृत कर रहा है। आरटीओ में ई-रिक्शा के लिए अभी तक करीब 50 ड्राइविंग लाइसेंस ही बनें हैं।

मुख्य सड़कों पर कब्जा

वर्ष 2022 के आरंभ में भी आरटीओ ने ई-रिक्शा के लिए सिटी में 19 रूट निर्धारित किया था, लेकिन न ड्राइवर्स ने रूचि ली और न विभाग के अफसरों ने इसकी सुधि ली। ड्राइवर्स के विरोध के बाद विभाग भी बैकफुट पर आ गया। रूट निर्धारण की योजना परवान चढऩे से पहले ही खत्म हो गई। आज स्थिति यह है कि ड्राइवर अपनी सुविधा के अनुसार जहां इच्छा होती है, वहीं ई-रिक्शा रोक देते हैं। जिस रूट पर मन करता है चल देते हैं। इसके लिए न कोई पार्किंग है और न रूट। मुख्य चौराहे वाले सड़कों पर इनका कब्जा रहता है।

इन सड़कों पर होती है ज्यादा मनमानी

- मोहद्दीपुर

- चारफाटक

- पादरी बाजार

- खंजाची चौराहा

- यूनिवर्सिटी चौराहा

- पैडलेगंज चौराहा

- रुस्तमपुर

- धर्मशाला बाजार

- असुरन चौक

- मेडिकल कालेज रोड

- शास्त्री चौक

- बेतियाहाता चौक

- नार्मल रोड

- टीपी नगर

रूट का निर्धारण नहीं होने से जाम की समस्या बनी रहती है। इसके चलते राहगीरों का काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

कुशाग्र रंजन

पब्लिक को जाम से मुक्ति कराने के लिए हर बार बैठक करता है और रूट निर्धारण की दावा करता है लेकिन अभी स्थिति जस की तस बनी है। लोग परेशान होते हैं।

प्रिंस सिंह

सबसे ज्यादा प्रॉब्लम यह है कि चालक ई-रिक्शा मुख्य सड़क और चौराहे पर रोककर सवारी भरने लगते हैं। इसकी वजह से जाम की समस्या बनी रहती है।

रवि प्रकाश

अंट्रेड चालक के हाथों में ई-रिक्शा की कमान है। विभाग जांच नहीं करता है। हादसे की चासेंज होते हैं। विभाग यदि गंभीरता से ले तो सबकुछ ठीक हो सकता है।

सचिन शुक्ला

ई-रिक्शा के लिए रूट निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है। नगर निगम सहित संबंधित विभागों के साथ बातचीत चल रही है। जल्द ही रूट का निर्धारण सुनिश्चित कर लिया जाएगा।

अरुण कुमार, आरटीओ प्रशासन गोरखपुर