गोरखपुर (ब्यूरो)। स्थिति यह है कि हर साल चार माह में वीआईपी नंबरों के लिए हुई बीडिंग प्रक्रिया में 45 वीआईपी नंबरों के लिए ही बोली लगी। जबकि बाकि नंबर बिना बीडिंग के ही अलॉट कर दिए गए। बीडिंग न होने से विभाग को हर माह लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।

पहले रेट होते थे फिक्स

पहले आरटीओ मे वीआईपी नंबर के लिए रेट फिक्स थे, निर्धारित राशि जमा करने के बाद वीआईपी नंबर जारी कर दिया जाता था। 2019 के बाद इस व्यवस्था में बदलाव आ गया। वीआईपी नंबरों के लिए लाइन बिड प्रक्रिया शुरू की गई। बिड प्रक्रिया तकरीबन एक सप्ताह पूरी होती है। इसमें एक नंबर के लिए बोली लगाई जाती है और अधिक बोली लगाने वाले को नंबर अलॉट कर दिया जाता है। शुरूआत छह साल इस प्रक्रिया में वीआइपी वाहन वालों ने बहुत रूचि दिखाई लेकिन बीडिंग प्रक्रिया से अत्याधिक बढऩे के कारण अब लोगों का मोह प्रक्रिया से भंग होता जा रहा है।

राजस्व घटा

जहां वीआइपी नंबरों के लिए पहले मारामारी होती थी लेकिन अब लोग बेस प्राइस पर भी नंबर लेने को तैयार नहीं है। एक से लेकर नौ नंबर तक की डिमांड ज्यादा रहती थी लेकिन अब इन नंबरों की डिमांड भी कम हुई है। ऑनलाइन बिड से पहले की व्यवस्था में विभाग को 20 से 25 लाख रुपए का राजस्व मिलता था। जो अब घटकर मात्र 17 से 18 लाख रुपये रह गया है। वहीं विभाग ने कुछ वीआइपी नंबरों का बेस प्राइस फिर बढ़ाया हुआ है। जिसके चलते इन महत्वपूर्ण वीआइपी नंबरों का बेस प्राइस को 15 हजार से बढ़ाकर एक लाख कर दिया गया था। जैसे 1111 का बेस प्राइस अब एक लाख रुपए हैं। इस कारण वीआइपी नंबरों के खरीदारों में कमी आ रही है।

वाहन रेट वाहन संख्या

फोर व्हीलर--1,10,000 01

फोर व्हीलर--1,08,000 01

फोर व्हीलर--1,00,000 17

प्राइवेट बस--1,00,000 02

मोटर कार-51,000 01

मोटर कार 50,000 23

नोट- एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक बिके नंबर

1 लाख वाले वीआइपी नंबर

0001, 0002, 0003, 0004, 0005, 0006, 0007, 0008, 0009, 0786, 1111, 2222, 3333, 4444, 5555, 6666, 7777, 8888, 9999

50 हजार वाले वीआइपी नंबर

100, 11, 200, 222, 300, 333, 400, 444, 500, 555, 600, 666, 700, 777, 800, 888, 900, 999, 1000, 1100, 2000, 2200, 3000, 3300, 4000, 5000, 5500, 6000, 6600, 7000, 7700, 8000, 8800, 9000, 9900.

ये है ऑनलाइन प्रक्रिया

-वीआइपी नंबर को पहले तीन दिन तक बुक कराया जाता है।

-इसके बाद ऑनलाइन ही बोली लगाई जाती है।

-तीन दिन तक इसी तरह प्रक्रिया चलती है।

-इसके अगले दिन जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोली लगाता है। नंबर उसी को आवंटित कर दिया जाता है।

-ऑनलाइन बिड में कम से कम तीन लोगों का शामिल होना जरूरी है।

-उनमें से जो सबसे बड़ी बोली लगाता है नंबर उसी को आवंटित कर दिया जाता है।

वीआइपी नंबरों की बोली लगने से जहां पहले अधिक आमदनी होती थी। ऑनलाइन बिड प्रक्रिया होने की वजह से वीआईपी नंबर आसानी से मिल जा रहे हैं।

अरुण कुमार, एआरटीओ प्रशासन