गोरखपुर (ब्यूरो)। बावजूद इसके हेल्थ डिपार्टमेंट गोरखपुर उदासीन नजर आ रहा है। अभी तक जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में जीका वायरस की जांच के लिए रैपिड टेस्ट किट तक नहीं आ सकी है। जबकि बुखार व बदन दर्द आदि के मरीज डेली ओपीडी में आ रहे हैैं। मलेरिया, कोरोना, डेंगू के समान लक्षण होने के कारण जीका वायरस की जांच भी जरूरी है, लेकिन किट के अभाव में जीका वायरस की जांच नहीं हो पा रही। इसलिए गोरखपुर में जीका की लड़ाई के लिए अभी तक तैयारी शुरू ही नहीं हुई है।

कानपुर में लगातार बढ़ रहे जीका वायरस के केस

बता दें, डेंगू के केसेज गोरखपुर में तेजी के साथ बढ़ रहे है। अब तक कुल 56 केसेज हो चुके है, लेकिन जिले में भले ही जीका वायरस के मरीज नहीं मिले हैं, लेकिन कानपुर में जीका वायरस से पीडि़तों के मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। जीका वायरस से लडऩे और इससे बचाव के लिए विभाग की तैयारियां नाकाफी है। विभाग ने इन मरीजों को भी डेंगू वार्ड में भर्ती करने का डिसीजन लिया है। गनीमत है कि अभी तक जिले जीका वायरस ने दस्तक नहीं दी है। नहीं तो हेल्थ डिपार्टमेंट के तैयारियों की पोल खुल जाती। अस्पतालों में भर्ती जीका वायरस के लक्षण वाले मरीजों की जांच करने का निर्देश है लेकिन रैपिड किट न होने से जांच नहीं हो पा रही है।

जीका वायरस की चपेट में आने का यह है लक्षण

- डेंगू व जीका वायरस के लक्षण लगभग समान होते हैं।

- जीका में तेज बुखार व जोड़ों के दर्द के अलावा आंखें लाल हो जाती हैं।

- बुखार से पीडि़त मरीजों को पेशाब में जलन हो सकती है।

- बुखार के साथ चकत्ते, जोड़ों और आंखों के पीछे दर्द, उल्टी आदि।

कैसे करें बचाव

- घर के आसपास सफाई का ध्यान रखें।

- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें

- किसी भी खाली बर्तन या जगह पर बारिश का पानी इक_ा न होने दें।

- गर्भवती व बच्चे विशेष रूप से सतर्कता बरतें।

- कूलर व पानी की टंकी को समय-समय पर साफ करते रहें।

जीका वायरस के केस सबसे ज्यादा कानपुर में है। अभी रैपिड जांच किट गोरखपुर में नहीं आई हैं। शासन से आदेश के बाद ही रैपिड टेस्ट किट आ सकती हैं। जैसा आदेश आएगा। उसके बाद उसका पालन किया जाएगा।

डॉ। सुधाकर त्रिपाठी, सीएमओ गोरखपुर