- थानेदारों की लापरवाही, अफसरों की फजीहत

- जाम, प्रदर्शन और घेराव के बाद होती हरकत

GORAKHPUR: जिले में थानेदारों की लापरवाही से पुलिस अधिकारियों की फजीहत हो रही है। सड़क जाम और प्रदर्शन करने पर थानेदारों की नींद खुलती है। पब्लिक के बवाल काटने पर ही पुलिस हरकत में आ रही। उरुवा में युवक के मर्डर में शामिल अभियुक्तों की गिरफ्तारी में लापरवाही से पब्लिक का गुस्सा भड़का था। रविवार को थाने का घेराव करने पर भी पुलिस हरकत में नहीं आई। सोमवार को जब लोगों ने एसएसपी दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया तो उरुवा पुलिस हरकत में आई। इसके पहले चिलुआताल एरिया में ड्राइवर संग ज्यादती के मामले में कार्रवाई न होने से आक्रोशित ट्रक ड्राइवरों ने प्रदर्शन किया। उनके गोरखनाथ मंदिर पहुंचने की सूचना पर पुलिस हरकत में आई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कई मामलों में पहले भी आक्रोशित पब्लिक बवाल कर चुकी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना की सूचना पर पुलिस कार्रवाई करती है। उरुवा की घटना में आरोपियों को अरेस्ट किया जा चुका है। विवेचना में जिनके नाम प्रकाश में आएंगे। उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

पहले दिखाते लापरवाही, बवाल पर निभाते जिम्मेदारी

जिले में होने वाली हर घटना की सूचना थाना पुलिस को सक्रियता से कार्रवाई का निर्देश एसएसपी ने दिया है। बावजूद इसके थानेदारों की लापरवाही से आरोपियों की धर पकड़ में विलंब होता है। इससे पीडि़त पक्ष और उनसे जुड़े लोगों में पुलिस के प्रति गुस्सा पनपता है। अभियुक्तों की मदद और संरक्षण देने के आरोप लगाकर लोग सड़कों पर उतर जाते हैं। सड़क जाम और प्रदर्शन के बाद ही पुलिस की नींद खुलती है। इसके बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस आरोपियों की धर पकड़ करती है। कई बार ऐसा भी होता है कि थाने स्तर पर धरना-प्रदर्शन का असर एसओ पर नहीं पड़ता। उरुवा एरिया में मर्डर के आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर रविवार को पब्लिक ने थाने पर प्रदर्शन किया। लेकिन 24 घंटे बाद तक जब पुलिस हरकत में नहीं आई तो नाराज लोग एसएसपी दफ्तर पहुंच गए। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते ही पुलिस अधिकारी सक्रिय हो गए। तब आनन-फानन में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पहले लापरवाही दिखाने वाले थानेदार बवाल होने पर जिम्मेदारी निभाते हैं।

पब्लिक खड़ी करती सवाल, परेशान होते सीनियर अफसर

जिले में थानेदारों की लापरवाही का खामियाजा सीनियर पुलिस अधिकारियों को भुगतना पड़ता है। थाना पुलिस की लापरवाही और उनकी खराब कार्यशैली से अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठने लगता है। पब्लिक जब सवाल खड़े करती है तो सीनियर पुलिस अफसर परेशान होते हैं। ऐसा कई बार हुआ है जब किसी मामले को थाना स्तर से निपटाया जा सकता था। लेकिन थानेदारों की लापरवाही से सड़क जाम, प्रदर्शन और अधिकारियों के घेराव की नौबत आई।

ये होता नुकसान

- पुलिस के प्रति पब्लिक का भरोसा टूटता है। कार्रवाई पर लोग यकीन नहीं करते।

- थानेदार पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोप लगता है। इससे गलत संदेश जाता है।

- विवेचना में अभियुक्तों को बचाने, उनको लाभ पहुंचाने की शिकायत से आक्रोश फैलता है।

- पुलिस की लापरवाही से अभियुक्तों को वर्चस्व बढ़ता है। कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं।

- थानों पर शिकायत लेकर जाने पर पब्लिक डरती है। न्याय मिलने को भरोसा नहीं रहता है।

हाल के दिनों में हुए बवाल

20 जुलाई 2020: उरुवा में मर्डर के आरोपियों की गिरफ्तारी में लापरवाही का आरोप, लोगों ने एसएसपी ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया। इसके पहले रविवार को पब्लिक ने उरुवा थाना घेरा था। लेकिन पुलिस हरकत में नहीं आई। एसएसपी दफ्तर पर प्रदर्शन होते ही हड़कंप मच गया।

19 जुलाई 2020: चिलुआताल एरिया के नकहा नंबर एक में ड्राइवर को पीटने, उसके प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालने के मामले में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। आक्रोशित ट्रक ड्राइवर ने धरना दिया। उनके गोरखनाथ मंदिर की तरफ जाने की बात सामने आने पर पुलिस हरकत में आई। आनन-फानन में मुकदमा दर्ज किया गया।

14 जुलाई 2020: गगहा एरिया में युवती के बदन पर गुटखा का रैपर फेंकने को लेकर हुई मारपीट में घायल युवक की मौत हो गई। आक्रोशित लोगों ने अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर वाराणसी-गोरखपुर हाइवे जाम किया। करीब दो घंटे तक आवागमन ठप रहा। लोगों ने आरोप लगाया कि अभियुक्तों पर पुलिस मेहरबानी दिखा रही है।

11 जून 2020: गुलरिहा एरिया में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में मारपीट हुई। इस दौरान एक युवक की मौत हो गई। आरोपित कांस्टेबल की गिरफ्तारी को लोगों ने सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया।

27 मई 2020: रामनगर कड़जहां में पब्लिक ने सड़क जाम किया। पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पथराव किया। डबल मर्डर के आरोपियों को बचाने का आरोप लगाकर पुलिस पर हमला बोल दिया।