गोरखपुर (ब्यूरो)।प्लेटफार्म नंबर दो पर कटिहार-अमृतसर ट्रेन के खड़े होते ही स्लीपर से लेकर एसी कोचेज में कैंडिडेट्स की भीड़ चढऩे लगी। आलम यह रहा कि जिनका रिजर्वेशन रहा, वह अपनी सीट पर असहज हो गए। वहीं, आरपीएफ या जीआरपी टीम कहीं भी नजर नहीं आई। यही नहीं वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस और गोरखधाम सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में भी कैंडिडेट्स की जबरदस्त भीड़ के आगे स्टेशन प्रबंधन उदासीन नजर आया।

रात से ही रेलवे स्टेशन पर था डेरा

गोरखपुर में 57 केंद्रों पर पीईटी की परीक्षा दो पालियों में आयोजित की गई। गोरखपुर के आसपास जिले से आए कैंडिडेट्स रात से ही रेलवे स्टेशन पर डेरा डाल रखे थे, पहली पाली की परीक्षा समाप्त होते ही वह रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करने लगे। अमृतसर-कटिहार एक्सप्रेस के प्लेटफार्म नंबर दो पर पहुंचते ही उसमें चढऩे के लिए एक दूसरे से भिड़ते हुए कैंडिडेट्स सभी कोचेज में चढऩे लगे। कमोबेश यही हाल दिल्ली जाने वाली गोरखधाम और वैशाली एक्सप्रेस में भी रहा। वहीं मेन गेट पर टिकटों की चेकिंग करने वाले टीसी भी इस भीड़ के आगे बेबस नजर आए।

रोडवेज बस स्टेशन पर रही भीड़

दरअसल, शनिवार को शुरू हुई पीईटी परीक्षा के एक दिन पहले यानी शुक्रवार की शाम गोरखपुर के रोडवेज और रेलवे के अधिकारी कैंडिडेट्स के भीड़ की स्थिति सामान्य होने का दावा कर रहे थे। लेकिन शनिवार की सुबह उमड़ी कैंडिडेट्स की भीड़ के आगे उनके सारे दावे फेल होते हुए दिखाई दिए। शहर का शायद ही कोई ऐसा इलाका रहा होगा, जहां दिन भर जाम न लगा हो। यह स्थित तब थी जब 31 परसेंट स्टूडेंट्स ने परीक्षा छोड़ दी थी।

बस स्टेशन पर घंटों खड़े रहे कैंडिडेट

इस बार की पीईटी परीक्षा के लिए गोरखपुर के आस-पास के शहरों का सेंटर गोरखपुर शहर में बनाया गया था, जिसमें 19 हजार से अधिक अभ्यर्थियों के शामिल होने की व्यवस्था बनाई गयी थी। छात्रों की भीड़ के आगे रोडवेज बसों की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। हालात ऐसे बने कि घंटों तक स्टूडेंट्स बस के इंतजार में रेलवे बस स्टेशन पर खड़े रहे। सबसे ज्यादा दिक्कत बस्ती जाने वाले छात्रों को हुई। एक तो घंटों बस नहीं मिली और जब आई भी तो खड़े होकर यात्रा करने के अलावा कोई आप्शन नहीं था।

ट्रेनों में नहीं मिली जगह

पीईटी की परीक्षा देने शहर में आये दूसरे जिले के कैंडिडेट्स को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। त्योहारी सीजन होने के चलते उनकी परेशानी और बढ़ गयी। कोई भी ऐसी ट्रेन नहीं थी जिसमें एक भी सीट खाली हो। मजबूरन छात्रों को ट्रेन की फर्श पर बैठकर यात्रा पूरी करनी पड़ी। वहीं गोंडा जाने वाली ट्रेनों में गेट तक छात्रों की भीड़ नजर आयी।