- एमएचआरडी ने कम किया प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स के बस्ते का बोझ
- निर्देश के पालन में लगेंगे 121 दिन, मिड सेशन में लागू करने में स्कूल वालों के छूट रहे पसीने
GORAKHPUR: बस्ते के बोझ तले दबे प्राइवेट स्कूल्स के बच्चों को मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट (एमएचआरडी) ने राहत तो दिलाई लेकिन सिटी के स्टूडेंट्स के कंधे का बोझ फिलहाल कम नहीं होता नजर आ रहा। मिड सेशन में निर्देश को लागू करने में सिटी के स्कूल वालों के पसीने छूट रहे हैं। स्कूल्स का कहना है कि नए सेशन में ही मंत्रालय का निर्देश लागू किया जा सकेगा। यानि बच्चों के कंधों से बस्ते का बोझ अब चार महीने (121 दिन) बाद ही कम हो सकेगा।
ये है मिनिस्ट्री का निर्देश
एमएचआरडी ने देश के सभी राज्य और केंद्र शासित राज्यों को गाइडलाइन जारी की है कि टीचर्स को स्टूडेंट्स के स्कूल बैग पर विशेष नजर रखनी है। स्कूल्स को सख्त निर्देश दिया गया है कि वे तीन मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दें और इसका सख्ती से पालन कराएं। एमएचआरडी के सेक्रेटरी ए हमजा की तरफ से जारी सर्कुलर में क्लास फर्स्ट टू सेकेंड के स्टूडेंट्स को होमवर्क नहीं दिया जाएगा। वहीं क्लास फर्स्ट एंड सेकेंड के स्टूडेंट्स के लिए किसी प्रकार की भाषा या फिर मैथमैटिक्स सब्जेक्ट को प्रेसक्राइब नहीं किया जाएगा। वहीं क्लास थर्ड टू फिफ्थ के स्टूडेंट्स के लिए ईवीएस व मैथमैट्कि्स एनसीईआरटी की बुक्स से ही पढ़ाए जाने का निर्देश है। वहीं सर्कुलर में क्लास फर्स्ट टू नाइंथ तक के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल बैग का वजन भी डिसाइड कर दिया गया है। जिसे किसी भी कीमत पर फॉलो करना स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी।
किताबें, लंच बॉक्स भारी कर देते बैग
स्कूल बैग के बढ़ते बोझ से जहां पैरेंट्स चिंतित रहते हैं, वहीं भारी बैग की वजह से बच्चों के कंधों पर जरूरत से अधिक दबाव पड़ने से उनकी रीढ़ की हड्डी पर भी अनावश्यक दबाव बढ़ने लगा है। पैरेंट्स की मानें तो यूकेजी के बच्चे के बैग में जहां कॉपी किताब से लगाए लंच बॉक्स, पानी की बोतल समेत वजन साढे़ तीन किलो तक हो जाता है। वहीं फर्स्ट क्लास तक पहुंचते-पहुंचते यह बढ़कर 4-5 किलो तक हो जाता है। वहीं सेकेंड और थर्ड तक पहुंचते-पहुंचते 6-7 किलो तक का भारी बस्ता बच्चों को उठाना पड़ता है।
वेट ऑफ स्कूल बैग
क्लास वजन
फर्स्ट से सेकेंड 1.5 किलो
थर्ड से फिफ्थ 2-3 किलो
सिक्स्थ से सेवंथ 4 किलो
8-9वीं 4.5 किलो
10वीं 5 किलो
नोट - एमएचआरडी द्वारा जारी किया गया निर्देश
अभी इतने भारी रहते स्कूल बैग
क्लास वजन
यूकेजी 3.50 किलो
फर्स्ट 4 किलो
सेकेंड 5 किलो
थर्ड से फोर्थ 5 किलो
फिफ्थ 8 किलो
सिटी में स्कूल
सीबीएसई - 85
सीआईएससीई - 21
बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त इंग्लिश मीडियम स्कूल - 358
सीबीएसई स्कूल्स में स्टूडेंट्स
क्लास - स्टूडेंट्स
फर्स्ट - 86,456
सेकेंड - 89,675
थर्ड - 76,453
फोर्थ - 89,654
फिफ्थ - 43,234
नोट- ये सभी आंकड़े औसत में हैं।
सीआईएससीई स्कूल्स में स्टूडेंट्स
फर्स्ट - 21,342
सेकेंड - 21,453
थर्ड - 17,453
फोर्थ - 16,324
फिफ्थ - 15,342
नोट - ये सभी आंकड़े औसत में हैं।
बॉक्स
इन मानकों पर होना चाहिए काम
- क्लास वर्क व होम वर्क की एक कॉपी होनी चाहिए।
- ऐसा टाइम टेबल जिसमें सभी टेक्स्ट बुक एक दिन लाने की जरूरत न हो।
- प्राइमरी के बच्चों के लिए लॉकर की सुविधा होनी चाहिए।
- बस्ते का रोजाना निरीक्षण होना चाहिए।
क्या कहते हैं ऑर्थोपेडिक
ऑर्थोपेडिक डॉ। डीबी त्रिपाठी बताते हैं कि अगर बच्चे के स्कूल बैग का वजन बच्चे के वजन से 10 प्रतिशत अधिक होता है तो काइफोसिस होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे सांस लेने की क्षमता प्रभावित होती है। भारी बैग केकंधे पर टांगने वाली पट्टी अगर पतली है तो कंधे की नसों पर असर पड़ता है। कंधे पर ज्यादा बल पड़ने से और उनमें हर समय दर्द बना रहता है जो तकलीफ देता है।
क्या करते हैं स्कूल प्रिंसिपल्स
हमारे यहां बैग के वजन का ध्यान रखा जाता है। कोशिश रहती है कि बैग अधिक भारी न हो। जिन क्लासेज के बैग भारी होते हैं, उनसे कुछ एक्सरसाइज भी करवाई जाती है ताकि बच्चों पर इसका नकारात्मक असर न हो।
- अजय शाही, प्रेसीडेंट, एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल
बच्चों के बैग का वजन हल्का करने के लिए जो निर्देश है उसे फॉलो किया जाएगा। इसके लिए पूरी कोशिश है कि उसे नेक्स्ट सेशन से लागू कर दिया जाए।
- अजीत दीक्षित, सिटी को-आर्डिनेटर, सीबीएसई