- यहां से गुजरे तो हो जाएंगे सेनेटाइज और मशीन बता देगी टेम्प्रेचर

- इंटर के स्टूडेंट राहुल ने बनाया ऑटोमेटिक सेनिटाइजर टर्मिनल

-बुधवार को एमएमएमयूटी वीसी प्रो। श्री निवास सिंह ने किया उद्घाटन

GORAKHPUR: कोरोना से निपटने के लिए देश-विदेश में तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। ऐसे कामों में गोरखपुर भी किसी से पीछे नहीं है। गोरखपुर के एबीसी पब्लिक स्कूल में इंटर की पढ़ाई करने वाले राहुल सिंह ने ऑटोमेटिक सेनेटाइजर टर्मिनल बनाया है। सेंसर युक्त ऑटोमेटिक सेनेटाइजर टर्मिनल से गुजरने वाला व्यक्ति केवल तीन सेकेंड में अच्छे से सेनेटाइज हो जाएगा। वहीं राहुल इसमें खुद से बनाया थर्मल सेंसर भी लगाने जा रहे हैं। जिसके बाद इस टर्मिनल के पास से गुजरने वाले व्यक्ति को बुखार है कि नहीं और उसका कितना टेंप्रेचर है, ये भी पता चल जाएगा।

कबाड़ में फेंके सामान से बना दी मशीन

मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के डिजाइन इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर 'डीआईआईसी' में प्रो। जीउत सिंह के निर्देशन में कार्यरत बाल वैज्ञानिक राहुल सिंह ने केवल 24 घंटे में ऑटोमेटिक सेनेटाइजर टर्मिनल तैयार किया। राहुल बताते हैं कि इसके लिए कबाड़ में फेंके सामन का यूज किया। कुछ ही सामान ऐसे थे जो बाहर से मंगाने पड़े। बुधवार को एमएमएमयूटी में दो जगहों पर इस मशीन को लगाया गया। गेट पर लगाए गए सेनेटाइजर टर्मिनल का वीसी प्रो। श्री निवास सिंह ने उद्घाटन किया। राहुल की इस उपलब्धि पर स्कूल के प्रिंसिपल हेमंत मिश्र ने भी खुशी जाहिर कर बधाई दी है।

किसानों को दवा छिड़कते देख आया आइडिया

राहुल बताते हैं कि उनके पिता संजय सिंह एक किसान हैं। वे खेतों में एक मशीन पीठ पर लादकर दवा छिड़क रहे थे। वो सीन मेरे दिमाग में आया। जिसके बाद मैंने उसे और हाइटेक कर ऑटोमेटिक सेनेटाइजर टर्मिनल का रूप दे दिया। राहुल ने बताया कि 2700 रूपए में उन्होंने ये सेनेटाइजर टर्मिनल तैयार किया है।

एक महीने चलती है बैट्री

राहुल ने बताया कि सेनेटाइजर टर्मिनल की टंकी 20 लीटर की है। इसमें लगी बैट्री 6 बोल्ट 2200 एमएच की है। जिसे एक बार छह घंटे चार्ज करना पड़ता है। इसके बाद ये बैट्री एक महीने तक चलती है।

बनाया हर्बल सेनेटाइजर

इस लॉकडाउन में राहुल ने हर्बल सेनेटाइजर भी बनाया है। एलोवेरा, तुलसी, कपूर, लौंग, नीम की पत्ती मिलाकर ऐसा सेनेटाइजर बनाया है कि वो अगर गलती से जीभ पर भी टच कर जाए तो उसका नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा। राहुल ने सेनेटाइजर बनाकर अपने गांव में बांटा है और खुद भी वही सेनेटाइजर यूज करते हैं।

इससे पहले भी कर चुके हैं कमाल

राहुल ने इससे पहले ग्रास कटर मशीन तैयार की थी, जो एक हजार रूपए से भी कम खर्च में तैयार हो जा रही थी। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया था। राहुल ज्यादातर खोज किसानों और उनकी परेशानियों को ध्यान में रखकर करते हैं। इसलिए पैसा कम से कम खर्च हो इसपर वो फोकस करते हैं।

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ऑटोमेटिक तरीके से होता है खाना-पीना

राहुल ही एक ऐसे इंटर के स्टूडेंट हैं जिन्हें एमएमएमयूटी में केवल उनके काम की बदौलत रूम मिला हुआ है। एमएमएमयूटी डीआईआईसी में प्रो। जीउत सिंह की देखरेख में वे अपनी कला को अंजाम तक पहुंचाते हैं। यही नहीं राहुल अपने रूम में एक रोटी बनाने वाली मशीन बनाए हुए हैं। जिसमें आटा और पानी डालने पर टाइमिंग फिक्स करनी होती है। उस फिक्स टाइम और क्वांटिटी के हिसाब से कुछ ही मिनटों में रोटियां बन जाती हैं। इसी तरह सब्जी भी काटने के लिए उन्होंने एक ऑटोमेटिक मशीन बनाई है। साथ ही एक टूटे पुराने जग की इलेक्ट्रॉनिक केतली भी बनाया है, जिसमें दूध, पानी, चीनी और चाय की पत्ती डालने पर चाय तैयार हो जाती है। घर के अंदर भी वो कुछ ना कुछ खोज करते रहते हैं।