-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में हुआ खुलासा

-घरों में देने से पहले ही दूध से क्रीम निकालकर बेच देते हैं दुकानदार

-क्रीम निकाले दूध में मिलाते हैं रिफाइंड, सिंघाड़े का आटा और लिक्विड ग्लूकोज

फैक्ट

200 रुपए किलो बिकता है क्रीम

रोजाना दो लाख लीटर दूध की खपत

प्रति लीटर दूध से 700 ग्राम क्रीम गायब

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GORAKHPUR: आपके दूध में जहर है! आप जो दूध सुबह लेते हैं वो शुद्ध दूध नहीं है। यह हम आपको ऐसे ही डराने के लिए नहीं कह रहे, बल्कि दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में सामने आया है। गोरखपुर में लंबे समय से सफेद जहर का कारोबार प्रशासन की खामोशी से खूब फल-फूल रहा है। और इस धंधे में लगे लोग लाखपति-करोड़पति बन रहे हैं। सिंथेटिक दूध डेयरियों पर बन रहा है और यह कार्य अनेक वर्षो से जिले में चल रहा है, लेकिन होली के नजदीक आते ही इसका कारोबार और गति पकड़ने लगा है और बड़े पैमाने पर सिंथेटिक दूध, पनीर आदि का निर्माण किया जा रहा है। स्थिति यह है कि इस समय जिला मुख्यालय के अलावा सभी तहसीलों के अनेक गांवों में पूरी तरह से नकली दूध बन रहा है। इसका खुलासा दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में हुआ है।

दूध से निकाल लेते हैं क्रीम

ग्रामीणों से दूध लेने के बाद डेयरी संचालक दूध से पूरी तरह क्रीम को निकाल लेते हैं और फिर घरों में पहुंचाते हैं। क्रीम निकाल लेने से दूध की सारी पौष्टिकता खत्म हो जाती है। फिर इस दूध को इसी गुणवत्ता बनाने के लिए डेयरी संचालक दूध में मिल्क पाउडर, ग्लूकोज, रिफायंड व आरएम केमिकल का मिश्रण कर उसे पुन: उसी गुणवत्ता के स्तर पर पहुंचा देते हैं। कुल मिलाकर पूरी तरह से नकली दूध बनाकर जिले भर में खपाया जा रहा है और इसी दूध से पनीर का निर्माण किया जा रहा है। कारोबारियों का यह कारनामा दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद है।

दूध में मिलाते हैं रिफाइंड

दूध सप्लाई के धंधे से जुडे़ लोग बताते हैं कि क्रीम निकाले गए दूध में रिफाइंड मिला दिया जाता है। इससे दूध में चिकनाई बन जाती है। यदि कोई उंगली पर दूध डालकर जांच करना चाहे, तो उसे पता नहीं चलता है। इतना ही नहीं दूध में सिंघाड़े का आटा और लिक्विड ग्लूकोज भी मिला दिया जाता है। इससे दूध का स्वाद भी ठीक रहता है। जानकार बताते हैं कि दुकानदार दूध को गाढ़ा करने के लिए मिल्क पाउडर और अन्य रासायि1नक पदार्थ मिला देते हैं।

क्रीम निकालने का अड्डा

दूध के धंधे से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक, ऐसे तो जिलेभर में दर्जनों अड्डे हैं, जहां दूध से क्रीम निकाला जाता है। लेकिन अगर सिर्फ शहर की बात करें तो इसमें गोरखनाथ, बरगदवां, आजाद चौक, नौसढ़, नंदानगर, मेडिकल आदि एरिया ज्यादा प्रचलित हैं।

होता है डबल मुनाफा

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर इसकी पड़ताल करने गोरखनाथ स्थित क्रीम निकालने वाली एक डेयरी पर पहुंचा। जहां पहले से ही सैकड़ों दूधिए दूध से क्रीम निकलवाने पहुंचे थे। पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि क्रीम निकालने से दुधियों को दोहरा फायदा होता है। पहले तो क्रीम महंगे दाम पर बिक जाती है। बाकी इसमें जो दूध बचता है, उसमें फिर पानी मिलाकर केमिकल से गाढ़ा कर दिया जाता है। इसके बाद इस दूध को भी ऊंची कीमत पर बेच दिया जाता है।

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रिपोर्टर और डेयरी संचालक की बातचीत

रिपोर्टर - यहां दूध से निकला क्रीम मिल जाएगा क्या?

संचालक - हां मिल जाएगा। 200 रुपए किलो।

रिपोर्टर - पहले तो 180 रुपए देते थे, अभी क्यों महंगा बता रहे?

संचालक - ले लीजिए 180 लग जाएगा। कितना चाहिए।

रिपोर्टर- आपके पास क्रीम कहां से आता है?

संचालक- दूध बेचने वाले दूध लेकर आते हैं। हमलोग क्रीम निकाल लेते हैं और पैसा दे देते हैं।

रिपोर्टर- क्रीम निकाल कर वो दूध बेचते हैं क्या?

संचालक- हां। वहीं दूध बेच देते हैं। इससे उनको ज्यादा फायदा होता है।

रिपोर्टर - 2 किलो दे दो, लेकिन सही तो है न

संचालक - हां पूरा क्रीम कल से आज तक का निकाला गया है।

रिपोर्टर - कौन-कौन से काम में आता है क्रीम

संचालक - अधिक्तर लोग इससे घी निकालने के लिए ले जाते हैं।

रिपोर्टर - घी ठीक निकलेगा इसमें

संचालक - बिल्कुल प्योर दूध का क्रीम है, अच्छा घी निकलेगा।

नोट- दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के पास दूध के इस काले कारोबार का वीडियो व आडियो रिकार्डिग है।

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क्रीम निकालकर दूध बेचना क्राइम

जिला खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, क्रीम निकाल कर दूध कस्टमर को बेचना पूरी तरह से गैर कानूनी है। यह अपराध है और कस्टमर का हक मारने जैसा है। हालांकि कुछ कंपनियां भी टोंड दूध बेचती हैं, लेकिन कंपनी इस संबंध में बाकायदा पैकिंग पर लिखती हैं, जिससे कस्टमर को पता होता है कि वह जो दूध खरीद रहा है, उसमें कितना फैट है।

आंकड़ों में खपत

- गोरखपुर शहर में रजिस्टर्ड डेयरी की संख्या - 277

- बिना रजिस्टर्ड डेयरी की वास्तविक संख्या - 350

- गोरखपुर शहर की जनसंख्या - 13 लाख

सिंथेटिक दूध के भरोसे शहर

नगर निगम के मुताबिक, सिर्फ गोरखपुर शहर की जनसंख्या करीब 14 लाख है। जानकारों के मुताबिक, शहरी इलाके में सिर्फ घरों में रोजना जनसंख्या के दस फीसद दूध की खपत होती है। साथ ही दूध से बनने वाली चीजों जैसे मिठाई, पनीर खोवा आदि की रोजना खपत जोड़ ली जाए तो सिर्फ गोरखपुर शहर में रोजाना करीब दो लाख लीटर से अधिक दूध की खपत है। जबकि, शहर में रोजाना करीब 70 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। इस कमी को सिंथेटिक दूध पूरा करता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

कैसे बनाता है सिंथेटिक दूध

- सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है।

-इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटजर्ेंट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है।

- इसके अलावा इसमें ग्लूकोज रिफाइंड के साथ ही बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिला दिया जाता है।

ऐसे करें असली और नकली में पहचान

-असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद ही पीला पड़ने लगता है।

- अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है। वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है।

- असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटजर्ेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।

ये हैं मानक स्तर

सामान्यत: दूध में फैट की मात्रा मानक के अनुरूप होनी चाहिए। भैंस के दूध में 5.5 से नौ प्रतिशत तक फैट, गाय के दूध में 3.5 से 4.8 तक फैट होना चाहिए। जबकि, मिश्रित दूध में 4 प्रतिशत से अधिक फैट होना चाहिए। वहीं, एसएनएफ की मात्रा भैंस के दूध में नौ प्रतिशत या इससे ज्यादा, गाय के दूध में 8.3 से 8.7 प्रतिशत तक होनी चाहिए।

खुद चेक करें दूध में है कितना है पानी

मार्केट में लैक्टोमीटर उपलब्ध है। इसके जरिए तुरंत दूध में पानी की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। ऐसे यंत्र हर छोटी-बड़ी डेयरी में भी होते हैं। किसी समतल व साफ सतह पर दूध की एक बूंद टपकाएं, अगर दूध शुद्ध होगा तो वह सीधी पंक्ति की तरह बहेगा और अपने पीछे एक सफेद गाढ़ी छाप छोड़ेगा, लेकिन अगर मिलावटी दूध होगा तो वह पानी की तरह बह जाएगा। मिलावटी दूध उबालने के दौरान उबाल कम आता है। मिलावटी दूध को उबालने पर मलाई बहुत पतली आती है। मिलावटी दूध का स्वाद कुछ कसैला होता है।

बीमार करता है मिलावटी दूध

सीनियर सर्जन डॉ। विजाहत करीम ने बताया कि मिलावटी दूध बहुत हानिकारक है। इससे तरह-तरह की बीमारी होती है।

- नकली मिलावटी दूध के सेवन से हो सकती लिवर, दिल, पेंक्रियाज की समस्या

- पेट में एंठन और अपच की समस्या हो सकती है।

- छोटे बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा बीमार होते हैं।

- मिलावटी दूध कब्ज और हैजा जैसी बीमारियों का कारण भी बनता है।

- नकली और मिलावटी दूध से सबसे ज्यादा पेट संबंधित बीमारियां होती हैं।

- मिलावटी दूध पीने से डायरिया और पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है।

- नकली दूध से उल्टी और दस्त और की शिकायत हो जाती है।

वर्जन----------------

नकली व मिलावटी दूध को लेकर विभाग पूरी तरह सतर्क है। बीते वर्ष करीब 100 से अधिक दूध के सैंपल लिए गए थे। इनमें से जो भी सैंपल मानक के विपरीत मिले उन पर कार्रवाई की गई। त्योहार में नकली दूध खपाने के मंसूबों को साकार नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए टीम को लगातार छापामारी करने का निर्देश दिया गया है।

- अनिल राय, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी