- मसूड़ों में सूजन है, दवा से नहीं मिल पा रही राहत

- डेंटिस्ट को छूट न होने से परेशान हो रहे पेशेंट

- सिर्फ कुछ चीजों में ही राहत दे रहा टेली कंसल्टेशन

केस 1

38 वर्षीय सुमित कुमार को पिछले 10 दिनों से दांत में असहनीय दर्द और सूजन है। डेंटिस्ट से संपर्क किया, तो उन्होंने दवा मैसेज कर दी। दवा खाने के बाद कुछ देर तो आराम रहता है, लेकिन असर खत्म होते ही दर्द फिर उभर जा रहा है। वह काफी परेशान हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से कोई डेंटिस्ट नहीं मिल रहा है।

केस 2

11 वर्षीय रिंकी 15 दिन पहले खेलने के दौरान गिर गई। जिसकी वजह से उसे बहुत चोटें आईं और साथ ही आगे के दो दांत भी टूट गए। इससे असहनीय पीड़ा हो रही है। फैमिली मेंबर्स मेडिकल स्टोर से दवा लेकर दे रहे हैं, लेकिन 1-2 घंटे बाद ही फिर दर्द बढ़ जा रहा है।

केस 3

58 वर्षीय रमावती देवी के दाहिनी तरफ के दांत में कैविटी है और वह टूट गया है। इसमें पस भर गया है जिसकी वजह से चेहरे में सूजन आ गई है। सात दिनों से दिन-रात दर्द हो रहा है। दांत के सारे हॉस्पटिल बंद हैं और कोई डॉक्टर की ओपीडी भी नहीं चल रही इस वजह से काफी परेशानी फेस करनी पड़ रही है।

केस 4

30 वर्षीय सुनीता गर्भवती हैं। उनके दांत में भी कैविटी हो गई है। असहनीय पीड़ा होने पर लेडीज डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने डेंटिस्ट को दिखाने की सलाह दी। सनीता के पति का कहना है कि 10 दिनों से शहर में डेंटिस्ट तलाश रहा हूं लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसी डॉक्टर ने क्लीनिक नहीं खोल रखी है।

GORAKHPUR: यह केस तो महज एग्जामपल भर हैं। ऐसे ही सैकड़ों लोग हैं, जो बेतहाशा दर्द से रोजाना दो-चार हो रहे हैं, लेकिन सिवाए पेनकिलर खाकर अपना दर्द कम करने के उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है। डेंटिस्ट भी मजबूर हैं कि उनको अब तक मरीज देखने की परमिशन नहीं मिल सकी है। वह भी सिर्फ टेलीफोनिक माध्यम से मरीजों का हाल जानकर उन्हें दवा प्रिस्क्राइब कर दे रहे हैं। इसमें से बहुतों को राहत भी मिल जा रही है, लेकिन कुछ ऐसे भी केस हैं, जिनमें सिर्फ फौरी राहत मिल रही है। इससे न सिर्फ मरीज बल्कि डॉक्टर भी परेशान हैं कि किसी तरह उनका इलाज किया जाए, जिससे कि उनका दर्द ठीक हो जाए।

जांच की भी पड़ती है जरूरत

डेंटिस्ट की मानें तो कुछ केस ऐसे होते हैं, जिनके सिंप्टम्स सुनकर दवा दी जा सकती है। लेकिन कुछ ऐसे भी केस होते हैं, जिसमें सिंप्टम्स सुनने के बाद भी दवा बताने पर मरीजों को राहत नहीं मिल पाती। ऐसे केसेज में छोटी-मोटी जांचें भी करनी पड़ती हैं। वहीं फिजिकली उस जगह को भी देखना पड़ता है, जहां पर प्रॉब्लम है। ऐसा न करने स ही प्रॉपर डॉयग्नोस्टिक होने में प्रॉब्लम होती है, जिसकी वजह से पेशेंट्स को रिलीफ नहीं मिल पाती। इन दिनों वही हो रहा है। कुछ छोटे-मोटे मर्ज में टेलीमेडिसिन से तो काम चल जा रहा है, लेकिन कुछ केस ऐसे भी हैं, जिनको देख न पाने की वजह से पेशेंट्स परेशान हैं लेकिन लॉकडाउन के रूल्स एंड रेग्युलेशन ने डॉक्टर्स को बांधे रखा है।

इन प्रॉब्लम में पेशेंट देखना जरूरी

- एक्यूट पेरापिकल एबसेस

- डेंटल ट्रॉमा

- एक्यूट पलपिटिस

- जॉ फ्रैक्चर

- स्वैलिंग

- पस फॉर्मेशन

- ग्रॉसरी डीकेड इंपैक्टेड थर्ड मोलर

- ऑस्टियो माइलिटिस

- लडविंग एंजाइना

- साइनस ओपनिंग एक्स्ट्रा ओरली

वर्जन

हमने अपने क्लीनिक इसलिए बंद कर रखे हैं कि कोरोना इंफेक्शन को लेकर डेंटिस्ट काफी हाई रिस्क पर हैं। इसमें एरोसोल जनरेटिंग प्रोसीजर होता है, जिसे करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी मना किया है। इसके साथ ही इमरजेंसी केसेज भी इसलिए नहीं हैंडल किए जा रहे हैं, क्योंकि डेंटिस्ट्री को लेकर सीएमओ ऑफिस से कोई सेपरेट गाइडलाइन भी नहीं इश्यु की गई है। जो हॉस्पिटल्स को गाइडलाइन की गई हैं, वह क्लीनिक्स पर फॉलो नहीं की जा सकती हैं।

- डॉ। अनुराग श्रीवास्तव, सेक्रेटरी, आईडी