गोरखपुर (ब्यूरो)।35 वर्ष तक के युवाओं के बाल झडऩे के कारण करवा रहे हेयर ट्रांसप्लांट।

केस वन

खजनी की रहने वाली दिव्या (काल्पनिक नाम) की उम्र 24 वर्ष है। लेकिन उसके बाल झडऩे की वजह से फैमिली मेंबर काफी परेशान थे, शादी भी नहीं हो रही थी। कई डॉक्टर्स से भी इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। वहीं कास्मेटॉलाजिस्ट के पास जाने पर हेयर ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई, लेकिन महंगे इलाज के कारण वह नहीं करा सकी।

केस टू

खोराबार के रहने वाले मनोज गिरी ने बताया कि उनकी एमएनसी कंपनी में जॉब है, लेकिन जॉब के बावजूद भी उनका विवाह नहीं हो पा रहा है, क्योंकि उनके सर के बाल काफी हद तक झड़ गए है, ऐसे में वह कास्मेटॉलाजिस्ट से संपर्क कर परामर्श ले रहे हैैं।

यह दो केस बानगी भर है, ऐसे ही ढेरों मामले आज की युवा पीढ़ी में आ रहे हैैं, जो बाल झडऩे से परेशान और महंगे इलाज के लिए डॉक्टर्स से परामर्श ले रहे हैैं। इस दौरान बड़े ही चौंकाने वाले मामले सामने आए।

फॉलिकल्स ब्लॉक की समस्या

इसके पीछे मुख्य वजह यह निकलकर आई कि खानपान और बदलते लाइफ स्टाइल के साथ-साथ केमिकल युक्त शैंपू और प्रोटीन की कमी पाई गई, तो कुछ लोगों में यह आनुवंशिक पाया गया। इसके साथ ही कुछ लोगों में पोषण नहीं मिलने की वजह से फोलिकल्स ब्लॉक की समस्या भी पाई गई। ऐसेे में बालों का झडऩा और गंजेपन की समस्या आई। ऐसेे लोगों के इलाज के लिए यह हेयर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एफर्ट नहीं कर पा रहे थे, तो इसके लिए डर्मा रोलर प्रोसेज भी बेहतर उपचार निकाला, जिससे बेहद कम खर्च में बेहतर इलाज मिल सकता है।

ताकि न काटना पड़े चमड़ी

प्रो। ललित मोहन के गाइडेंस में कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ। नीलू मोहन ने स्टडी की। गंजेपन को लेकर की गई स्टडी को लेकर उन्होंने बताया कि बालों की समस्या से अच्छी खासी आबादी परेशान है। वह भी युवा पीढ़ी, समय से पहले बालों का गिर जाना और धीरे-धीरे गंजापन होने को लेग जेनेटिक मानकर बैठ जाते हैैं, लेकिन ऐेसा नहीं है। गंजेपन का इलाज ट्रांसप्लाटेंशन है, लेकिन वह मंहगा और चमड़ी काटकर सिर में रोपे जाने की प्रक्रिया भी अब मरीज को काफी दिक्कत पहुंचा रही है। लेकिन डर्मा रोलर प्रोसेज से गंजेपन को दूर किया जा सकता है। इस प्रोसेज से नए बालों को उगाया भी जा रहा है। ताकि मरीज को किसी भी तरह की दिक्कत न हो।

बढ़ाते हैं ब्लड सर्कुलेशन

डर्मा रोलर को सिर पर स्टार शेप चलाया जाता है। इसमें छोटे-छोटे पिंपल होते हैैं, जो बालों की जड़ में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाते हैैं। जिससे जहां बाल नहीं है, वहां बाल आ जाते हैैं। उन्होंने बताया कि इसमें छोटे-छोटे करीब 540 पिन होते हैैं, जो सिर की त्वचा में घुसकर छेद करते हैैं। जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। जो सीधे बालों की जड़ों में जाता है। जिससे बालों को फिर से उगने में लगभग 100 प्रतिशत शक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि रक्त नालियों के द्वारा रक्त, बालों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता है। कई बार मरीज के सिर में दर्द, सूजन और खुजली आदि की शिकायत होती है। जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है।

मजबूत बनाता है बाल

डर्मा रोल चलाने के बाद मिनोसिडिल, फोनिस्टट्राइल, ग्रोथ फैक्टर और अमीनो एसिड का प्रयोग किया जाता है, जो बालों को लंबा तथा घना ही नहीं बल्कि मजबूत भी बनाता है। उन्होंने बताया कि दो से तीन महीने में मरीज के सिर पर इसका असर साफ दिखाई देने लगता है। इसके लिए मरीज को कम से कम 5 से 7 बार चिकित्सक के पास जाना होता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा 10-20 हजार रुपए के खर्च आते हैैं। जबकि हेयर ट्रांसप्लांट के लिए 30 हजार से एक लाख रुपए तक खर्च होते हैैं।