गोरखपुर (ब्यूरो)। इस सर्वे में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेश के सभी प्रकार के स्कूलों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य बच्चों की मनोदशा जानकर उन्हें बल प्रदान करना है। ताकि बच्चों के साथ ही देश का भी फ्यूचर ब्राइट हो। आइए इस सर्वे से जानते हैं आखिर क्या सोचते हैं स्कूली बच्चे।

3 लाख बच्चों पर सर्वे

बता दें, एनसीईआरटी ने गूगल फार्म के माध्यम से जनवरी से मार्च 2022 तक सर्वे कराया, जिसमें 3,79,842 स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया। इसमे मिडिल स्टेज यानी 6 से 8 वीं और सेकेंड्री स्टेज 9 से 12 वीं क्लास के स्टूडेंट्स को शामिल किया गया है। कुल 20 प्वाइंट पर यह सर्वे किया गया है। इस सर्वे की रिपोर्ट सीबीएसई की वेबसाइट पर भी अवेलबल है।

सर्वे के आधार पर परसेंटेज में स्टूडेंट की मेंटल हेल्थ की रिपोर्ट (परसेंट में)

1. अपनी बॉडी इमेज से संतुष्ट हैं- 55

2. अपनी पर्सनल लाइफ से संतुष्ट हैं- 51

3. स्कूल लाइफ से संतुष्ट हैं- 73

4. अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रहे हैं- 84

5. क्वेश्चन पूछने में संकोच करते हैं- 28

6. बातचीत के दौरान अपने अंदर की बात कहने में कठिनाई महसूस करते हैं- 23

7. दोस्तों की बातों का अनुपालन करने का प्रेशर महसूस करते हैं- 33

8. खुद पर भरोसा करते हैं- 70

9. सामाजिक समर्थन प्राप्त करने की धारणा होती है- 58

10. पढ़ाई, एग्जाम और रिजल्ट को लेकर चिंतित रहते हैं- 81

11. कंस्ट्रेट नहीं कर पाते हैं- 29

12. स्कूल में अच्छा फील करते हैं- 67

13. चिंतित रहते हैं- 11

14. खुद के अंदर इमोशन महसूस करते हैं- 14

15. बदलते रहते हैं मूड- 43

16. स्ट्रेस कम करने के लिए योगा और मेडिएशन का यूज करते हैं- 28

17. स्ट्रेस से मुकाबला करने के लिए थॉट शिफ्ट करने का प्रयास करते हैं- 28

18. ऑनलाइन क्लास का सामाजिक ज्ञान नहीं है- 39

19. ऑनलाइन कंटेंट सीखने में कठिनाई का अनुभव करते हैं- 51

20. तनावपूर्ण स्थिति में भी उछल-कूद करते हैं- 39

टाइप ऑफ स्कूल

। केन्द्रीय विद्यालय - 1,06,937

। जवाहर नवोदय विद्यालय- 94,034

। स्टेट गवर्नमेंट स्कूल- 84,705

। प्राइवेट स्कूल्स- 67,156

। एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल- 13,820

। सैनिक स्कूल- 9032

। डेमोस्ट्रेशन मल्टीपरपज स्कूल- 1671

। नेशनल इंस्टीयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग- 1125

। सेंट्रल तिब्बतन स्कूल- 284

। कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय- 249

जेंडर वाइज पार्टिसिपेट

जेंडर नंबर

गल्र्स 1,88,220

ब्वॉयज 1,90,944

थर्ड जेंडर 11

(Note : 6-12 वीं क्लास के स्टूडेंट ने एनसीईआरटी के सर्वे में किया पार्टिसिपेट)

बच्चों की ग्रोथ के लिए उनका मेंटल स्टेटस जानना बेहद जरूरी है। एंजाइटी जैसी बीमारी का समय रहते पता चला जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है। अगर बीमारी पुरानी हो जाती है तो दवा भी काम नहीं आती है।

डॉ। आकृति पाण्डेय, साइकोलॉजिस्ट