गोरखपुर (सुनील त्रिगुणायत)।मेडिकल लैंग्वेज में इसे डीएनए फ्रेगमेंटेशन कहा जाता है। इसकी वजह से महिलाओं को प्रेग्नेंसी में प्रॉब्लम हो रही है। मैन एंड मिसकैरेज 2022 रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के बार-बार गर्भपात के लिए ज्यादातर पुरुष जिम्मेदार हैं। पुरुषों में यह स्थिति ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण बन रही है। गर्भपात से जुड़े करीब 50 परसेंट मामले इसी कारण हो रहे हैं। हर छह में से एक का गर्भपात पुरुषों के खराब स्पर्म के कारण हो रहा है।

धूम्रपान से गर्भपात की आशंका ज्यादा

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ। सुधीर गुप्ता ने कहा, धूम्रपान से गर्भपात की आशंका 50 परसेंट बढ़ जाती है। महिला-पुरुष धूम्रपान न करें। अब स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन टेस्ट से पुरुषों में नपुंसकता का ट्रीटमेंट हो सकेगा। वह संतान का सुख प्राप्त कर सकेंगे। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचने के लिए पुरुष कुछ समय आराम करें। जीवनशैली को सुधारें। योग करें, पौष्टिक आहार लें।

तेजी से बढ़ रहा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस

युवा काम के बोझ से तनावग्रस्त है। इसके कारण वे सिगरेट व शराब पी रहे हैं। इस स्थिति को आक्सीडेटिव स्ट्रेस कहते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे स्पर्म में एंटी-ऑक्सीडेंट्स का स्तर घटने लगता है। यह प्रॉब्लम उम्र बढऩे पर होती है, पर युवा भी अब चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शुक्राणु डीएनए के विखंडन से न सिर्फ पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है, बल्कि खराब स्पर्म डीएनए से जन्में बच्चे भी बचपन में कई बीमारियों से पीडि़त होते हैं।

रिसर्च में हुई पुष्टि

करीब दो साल पहले इंपीरियल कॉलेज लंदन के रिसर्च में इसी तरह का संकेत दिया गया था, पर अब इस बात की पुष्टि हो गई है। क्लिनिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार रिसर्च में ऐसी 50 महिलाओं के पुरुष साथियों को शामिल किया गया। इनके स्पर्म डीएनए काफी कमजोर पाए गए। उनके सीमन में वे मॉलिक्यूल भी मिले, जो डीएनए को लगातार डैमेज करते हैं।

35 से 50 एज ग्रुप में ज्यादा प्रॉब्लम

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ। सुधीर गुप्ता का कहना है कि 10 से 20 परसेंट महिला और पुरुषों में प्रॉब्लम आ रही हैं। इसमें 35 साल तक की महिलाओं और 50 उम्र के पुरुषों में इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे लोगों में स्पर्म काउंट कम हो रहा है, जिसकी वजह से बच्चा ना रुकना और जन्में बच्चों का विकास नहीं होता है।

रेडिएशन से भी इफेक्ट

डॉ। सुधीर गुप्ता ने बताया, मोबाइल फोन, लैपटॉप, वाई फाई, कंपयूटर यहां तक कि माइक्रोवेव के ज्यादा इस्तेमाल करने से उससे निकलने वाले रेडिएशन से भी पुरुषों में शुक्राणु प्रभावित होते हैं। बताया कि यदि पुरुष के स्पर्म में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु हैं तो यह संख्या सामान्य से कम मानी जाती है। युवाओं में स्पर्म काउंट कम होने का करण उनके हेल्थ और लाइफ स्टाइल फैक्टर्स हैं।

लक्षण

खराब लाइफ स्टाइल

जंक फूड का सेवन करना

धूम्रपान का सेवन करना

अत्यधिक मोटापा आदि

बढ़ते आईटी कल्चर

देर रात तक जागना या सही नींद ना आना

बचाव

-नियमित व्यायाम करें

-जंक फूड का सेवन ना करें

-भरपूर नींद लें

-धूम्रपान का सेवन ना करें

-इलेक्ट्रिक उपकरणों से दूरी बनाएं

-ज्यादा प्रॉब्लम होने पर डॉक्टर्स से परामर्श लें

लाइफ स्टाइल में चेंजेज होने और धूम्रपान सेवन की वजह से इस प्रकार की प्रॉब्लम आ रही है। स्पर्म काउंट भी कम हो रही है। इसलिए ऐसे लोगों को अपने दिनचर्या में बदलाव के साथ खान पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिए। ज्यादा प्रॉब्लम होने पर डॉक्टर्स से संपर्क करें।

डॉ। सुधीर गुप्ता, स्त्री व प्रसूति रोग विभाग बीआरडी

आईटी कल्चर बढऩे और उपकरणों के इस्तेमाल से रेडिएशन बढ़ रहा है, जिसकी वजह से स्पर्म काउंट में चेंजेज आ रहा है। जन्में बच्चों का भी पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पा रहा है। इसलिए लाइफ स्टाइल और धूम्रपान के सेवन से बचें और नियमित व्यायाम करें।

डॉ। भूपेंद्र शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ बीआरडी