-बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट में नहीं है जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए लैब की व्यवस्था

GORAKHPUR: संभावित तीसरी लहर को लेकर चिताएं बढ़ रही हैं। इस चिंता में इजाफा किया है डेल्टा प्लस वैरिएंट ने। लेकिन इसकी पहचान के लिए गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए लैब की कोई व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि जो जिनोम सिक्वेसिंग के लिए अब तक 75 सैंपल को आईजीआईबी लैब दिल्ली जांच के लिए भेजा गया है। उसकी रिपोर्ट आज तक आई ही नहीं है। अब ऐसे में हेल्थ डिपार्टमेंट के सामने एक नई चुनौती आ चुकी है। जब रिपोर्ट ही नहीं आएगी तब कैसे पता चलेगा कि गोरखपुर में डेल्टा प्लस वैरियंस ने दस्तक दे दी है।

बिना जिनोम सिक्वेंसिंग के नहीं हो सकता है डेल्टा प्लस ट्रेस

देशभर में विभन्न राज्यों कोरोना के नए वैरियंट डेल्टा प्लस के केसेज तेजी के साथ बढ़ने शुरू हो गए हैं। लेकिन गोरखपुर में डेल्टा प्लस वैरियंस की पहचान के लिए न तो बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी लैब में कोई व्यवस्था है और ना ही एम्स के लैब में। ऐसे में सवाल इस बात का है कि डेल्टा प्लस वैरियंट की जांच के लिए किए जाने वाले जिनोम सिक्वेंसिंग कैसे होगी। जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इसको लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलोजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। अमरेश सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि जिनोम सिक्वेसिंग के लिए कोई जांच मशीन नहीं है। लेकिन अब जो नया आदेश है उसमें यह बताया गया कि अब जो भी सैंपल लिए जाएंगे उसकी जिनोम सिक्वेसिंग करना अनिवार्य है। इसके लिए तय किया गया है कि जो भी सैंपल आएंगे। उनमें सीटी वैल्यू 25 से कम रहेगा। उनका जिनोम सिक्वेसिंग किया जाएगा। इसके लिए सभी सैंपल को आईजीबी लैब दिल्ली भेजना है। इसके लिए हम लोगों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।

75 सैंपल के रिपोर्ट का आज भी है इंतजार

उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने (अप्रैल, मई व जून) में जिनोम सिक्वेसिंग के लिए सैंपल आईजीआईबी लैब दिल्ली जांच के लिए भेजा जा चुका है। अब तक 75 सैंपल जिनोम सिक्वेसिंग के लिए भेजा है। लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं आया है। चार केजीएमसी भेजा गया है। 71 आईजीआईबी दिल्ली भेजा गया है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट नहीं आने से कुछ कह पाना मुश्किल है। सूत्रों की माने तो इन तीन महीने में भेजे गए सैंपल के रिपोर्ट नहीं आने से यह कह पाना कि गोरखपुर में डेल्टा प्लस वैरियंस का केस आया भी की नहीं।

29 जून से एम्स में शुरू हो जाएगा आरटीपीसीआर की जांच

वहीं कोरोना के सैंपलिंग के लिए बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट के लिए व्यवस्था है। इसके साथ अब एम्स में भी 29 जून से शुरू हो जाएगा। करीब एक हजार आरटीपीसीआर जांच हो सकेगा। लैब में बीएसएल टू टाइप की मशीन लगाई गई है। एम्स में पहले से ट्रनेट जांच के लिए व्यवस्था की गई है। एम्स में आरटीपीसीआर जांच के शुरू हो जाने से दूसरे जिले के भार का लोड बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी डिपार्टमेंट पर नहीं पड़ेगा।

वर्जन

सीएमओ डॉ। सुधाकर पांडेय ने बताया कि कोरोना के नए वैरियंट को ट्रेस करने के लिए जिनोम सिक्वेंसिंग जरूरी है। लेकिन इसके लिए प्रयासरत भी हैं। जैसे ही शासन से गाइडलाइन आएगी। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ