गोरखपुर (ब्यूरो)। छोटेकाजीपुर निवासी नरेश और शिल्पी की गृहस्थी अच्छी खासी चल रही थी। बच्चों की जिद पर नरेश घर में एक लेब्राडोर डॉग ले आए, लेकिन कुछ ही दिन बाद पति और पत्नी के बीच डॉगी के बिट पर बहसबाजी शुरू हुई। घर के हर एक कोने में यूरीन और बिट करने पर साफ-सफाई को लेकर आए दिन बहस हो गई। स्थिति यह हो गई एक दिन मामला एक दूसरे के साथ नहीं रहने तक की नौबत आ गई। दोनों के बीच अहम इतना ज्यादा हो गया कि तलाक तक एक दूसरे को देने की नौबत आ गई। हालांकि, जब मामला फैमली कोर्ट पहुंचा तो वहां पर मौजूद कर्मचारियों ने महिला कल्याण विभाग भेज दिया। फिर वहां काउंसलिंग की गई। तब जाकर किसी तरह गृहस्थी बसी।

केस

पादरी बाजार निवासी छोटू और प्रीति की शादी हुए 5 साल हो गए, लेकिन उनके घर में छोटे बच्चे न होने के कारण छोटू पत्नी के टाइम पास के लिए एक जर्मनसेफर्ड डॉग खरीदकर लाए। हालांकि घर में प्रीति के सास-ससुर भी इसको लेकर खुश नहीं थे, लेकिन बेटे की जिद के आगे वह शांत हो गए, लेकिन छोटू बिजनेस के काम से बाहर जाने लगे तो उनकी पत्नी प्रीति डॉगी के सुबह के शाम के केयर के दौरान उसके बिट और खिलाने पिलाने से रहने लगी, दोनों के बीच खटपट शुरू हो गई, एक दिन प्रीति ने अपने मायके वालों को यह समस्या बताई, मायके वालों के इंटफियरेंस से बात बढ़ गई। प्रीति ने ससुराल में रहने के बजाय चली गई मायके, बोली डॉगी को हटाने के बाद ही ससुराल आएंगे। आज भी प्रीति मायके में है। महिला कल्याण विभाग की टीम उन्हें काउंसलिंग के लिए पहुंची, लेकिन मान मनौव्वल का दौर जारी है।

हो रहा मनमुटाव

पति-पत्नी के बीच के इस तरह के मनमुटाव के मामले इन दिनों महिला कल्याण विभाग और फैमिली कोर्ट तक पहुंच रहे हैैं। फैमिली कोर्ट तक पहुंचने वाले मामलों में सीधे लेने के बजाय एक बार काउंसिलिंग के जरिए गृहस्थी को सुचारू रुप से चलाने के लिए महिला कल्याण विभाग भेज दिए जाते हैैं। वहीं महिला कल्याण विभाग में आने वाले 15-20 मामले पेट एनिमल को लेकर आपसी कलह की काउंसलिंग शुरू हो गई है।

बहू की 'अति नींद' सास को नापसंद

महिला कल्याण विभाग का वन स्टॉप सेंटर भी है। वहां जो मामले इस तरह के आ रहे हैैं। उनमें यह भी सास द्वारा यह भी कहा जाता है कि बेटा अगर पेट एनिमल लाया है तो बहू उसकी केयर नहीं करती है, बहू को देर तक सोने की आदत है। वह सुबह 10 बजे उठती है। सास को बहू की यह आदत नापसंद थी। सास ने टोका तो घर में झगड़े होने लगे।

ऐसे केस आ रहे ज्यादा

- तलाक के मामले

- भरण पोषण के केस

- आदेश के बाद भी पति खर्च के लिए रुपए नहीं देता

- तय रुपए में वृद्धि के लिए

- बच्चों को साथ रखने के मामले

- पत्नी और पत्नी को साथ रखने के केस

सन - घरेलू हिंसा

2016-17 - 23

21017- 18 - 118

2018 -19 - 353

2019-20 - 217

2020 - 21 - 88

2021- 22 - 88

2022 - 23 - 67

2023-24 - 37

कुल - 991

घरेलू हिंसा के मामले आते हैैं, लेकिन उनमें कई वजहें होती हैैं। आज कल पेट एनिमल्स की वजह से घरेलू हिंसा के केस भी आ रहे हैैं। काउंसिलिंग में काउंसलर कर उनकी फिर से गृहस्थी बसाई जाती है।

पंकज कुमार मिश्रा, डीपीओ गोरखपुर