गोरखपुर (ब्यूरो).शहर के घंटाघर, रायगंज, रेतीचौक, शाहमारूफ, गीताप्रेस, साहबगंज आदि इलाके में सकरी गलियों की संख्या अधिक है। इस इलाके में शहर की 60 फीसदी आबादी रहती है। साथ ही होटल, मॉल, दुकानों है। इन एरियाज में आग से सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। इस इलाके में डेली खरीदारों की संख्या भी अधिक होती है। जिस कारण यहां पहुंचने के रास्ते और भी संकरें हो गए हैं। इतना ही नहीं मकानों में ही दुकानें और फैक्ट्रियां भी संचालित हो रही है। जिनमें आग का खतरा बना हुआ है।

भवन का नक्शा पास होने पर तय होता है मानक

भवन निर्माण से पहले नक्शा पास करना होता है। दमक विभाग निर्माण स्थल का निरीक्षक कर मानक तय करता है। तब तय होती है कि भवन की ऊंचाई कितनी होगी। इसके साथ ही भवन के चारों ओर सुरक्षित एरिया भी तय होता है। शहर में बने अधिकांश भवन इसकी अनदेखी कर बने हैं। हाल में ही जो बड़े भवन बने है उनमें कुछ हद तक मानकों को पूरा करने की भवन मालिकों ने प्रयास किया है, लेकिन अधिकांश भवन बिना मानक के बन चुके हैं। जिनमें आग की घटना होने पर उनमें मौजूद लोगों के पास आग बुझाने से अधिक बचकर भाग निकलने में ही भलाई होगी।

शहर की आबादी घनी है। इन गलियों के रास्ते भी काफी सकरी है। आग लगने की घटना में काफी परेशानी होती है। इसके बावजूद आग पर काबू पाने की कोशिश की जाती है। नियम के मुताबिक 12 मीटर की दूरी पर होटल और दुकान और कॉम्प्लेक्स होने चाहिए। पुराना शहर में भवनों की भरमार है। आग को लेकर उन्हें बराकर जागरूक किया जाता है।

- बृज मोहन सिंह, अग्निशमन अधिकारी