गोरखपुर (ब्यूरो)।आज 'इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेसÓ है। हैप्पीनेस इंडेक्स 2022 के हिसाब से भारत 146 में से 136वें नंबर पर है। भले ही जिंदगी में सभी परेशान हैं, लेकिन खुशी के लिए वजह खुद तलाशनी होगी। यह कहना है साइकोलॉजिस्ट्स का, जिनके मुताबिक स्ट्रेस फ्री लाइफ के लिए अगर हम पॉजिटिव लोगों के साथ रहें और अपनी हॉबीज को टाइम टें तो हम खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं। हमें कल के बारे में सोच कर परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि आज को पूरी तरह एन्जॉय करना चाहिए।

जो मिला उसमें खुश रहिए

डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी की एचओडी प्रो। अनुभूति दुबे ने बताया कि आजकल लोग छोटी-छोटी बातों पर दुखी हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट न मिले तो परेशान हो जाते हैं या कभी कॅरियर को लेकर डिप्रेशन में चले जाते हैं। लोगों को लाइफ एन्जॉय करने की जरूरत है। पेरेंट्स अपने बच्चों की अच्छी पैरेंटिंग करें। हमें जो मिला है उसमें खुश रहना चाहिए और इसके लिए भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए। किसी से भी बात करते समय पोलाइट रहें और नेचर से जुड़े रहें। कई बार लोग पास्ट को प्रेजेंट से कंपेयर करते हैं और दुखी हो जाते हैं। ऐसा उन्हें बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि जो चीजें हमारे कंट्रोल में नहीं हैं उसको लेकर दुखी होने से कोई फायदा नहीं है।

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में होती है काउंसिलिंग

डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी में एक काउंसिलिंग सेंटर बनाया गया है, जहां पर स्टूडेंट्स, टीचर्स और कर्मचारियों की काउंसिलिंग होती है। इसके साथ ही उन्हें खुश रहने के बारे में भी बताया जाता है।

खुश रहने के लिए ये करें

- खुद को किसी से कंपेयर न करें।

- सोशल मिडिया के टाइम में कटौती करें।

- स्मार्टफोन का यूज कम करें।

- दूसरों से पोलाइटली बात करें।

- अपनी हॉबीज को टाइम दें।

- नेचर से जुुड़े रहें और पौधे लगाएं।

- अच्छी नींद लें।

- पॉजिटिव लोंगों के बीच ज्यादा टाइम स्पेंड करें।

- योगा और एक्सरसाइज करें।

- दूसरों की मदद करें।

क्यों मनाया जाता है?

इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस डे को मनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि आप जीवन में खुशहाली लाने के नए मौके तलाश सकें। ऐसा माना जाता है कि जो समाज खुश रहता है वह सबसे ज्यादा प्रगति करता है। जो देश सबसे ज्यादा खुशहाल है वह सबसे ज्यादा आर्थिक उन्नति भी करता है।

आज के दौर में खुश रहने के लिए सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाएं। नेचर से जुड़े रहें और लोगों से विनम्रता से पेश आएं। उस चीज के लिए दुखी बिल्कुल भी न हों जो हमारे कंट्रोल में नहीं है।

प्रो। अनुभूति दुबे, एचओडी, डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी, डीडीयूजीयू