गोरखपुर (ब्यूरो)।ट्रेनिंग के लिए गोरखपुर जेल प्रशासन से अपना ट्रस्ट ने टाईअप किया है। सोमवार को इस ट्रेनिंग की शुरुआत हुई। पहले दिन महिला बंदियों ने टेराकोटा की मूर्तियों पर डिजाइन करना सीखा।

तीन माह चलेगी ट्रेनिंग

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को देखते हुए जेल में इसकी शुरुआत की गई है। ट्रस्ट की स्वेच्छा श्रीवास्तव ने बताया कि महिला बंदियों की पहले काउंसिलिंग की गई है। इसमें देखा गया कि महिला बंदियों का इंट्रेस्ट किस तरफ जा रहा है। इसके बाद ट्रेनिंग की शुरुआत की गई है। ये ट्रेनिंग तीन माह चलेगी। इसमें टेराकोटा वर्क, ब्यूटीशियन और टेराकोटा की ज्वेलरी बनाना सिखाया जाएगा।

25 परसेंट महिलाओं से नहीं मिलने आता कोई

स्वेच्छा ने बताया कि जेल में उन्होंने 200 महिला बंदियों की काउंसिलिंग की। इससे पता चला कि करीब 25 परसेंट महिलाओं से कोई मिलने ही नहीं आता है, उनका केस लडऩे के लिए कोई वकील भी नहीं है। उन्होंने बताया कि 70 परसेंट महिलाएं जेल में गरीब तबके से आती हैं। जिन्हें अपना खर्च चलाने में मुश्किल आती है। इससे महिलाएं मानसिक तनाव में रहती हैं।

आत्मनिर्भर बन सकेंगी महिलाएं

स्वेच्छा ने एक अभियान के रूप में ये कदम उठाया गया है। जेल में बंद महिला बंदी को सबसे पहले टेराकोटा की मूर्तियों पर पेटिंग करना सिखाया जा रहा है। पेेंटिंग के बाद इस मूर्ति को जेल प्रॉडक्ट के रूप में जाना जाएगा। इससे जो भी कमाई होगी, उसका फायदा महिला बंदियों को मिलेगा। यही नहीं जेल से छूटने के बाद वो बाहर जाकर भी आत्मनिर्भर बन सकेंगी। सोमवार को महिलाओं को टेराकोटा की मूर्तियों को रंगना, उनपर जरी, मोती के कार्य करना सिखाया गया है। स्वेच्छा ने बताया कि बहुत सी महिलाएं ब्यूटीशियन की कला में एक्सपर्ट होना चाहती हैं। उन्हें ब्यूटीशियन और मेहंदी लगाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं टेराकोटा की च्वेलरी बनाना भी सिखाया जाएगा।

डीडीयूजीयू की दो स्टूडेंट दे रहे ट्रेनिंग

स्वेच्छा श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी टीम में दो एक्सपर्ट हैं जो गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फाइन आर्ट एमए लास्ट इयर की स्टूडेंट हैं। डीडीयूजीयू की निशा साहनी और महिमा जेल में बंद महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं। ट्रेनर का कहना है कि सीखने के बाद महिला बंदियों को दूसरे के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।

जेल में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक संस्था से टाईअप हुआ है। सोमवार को पहले दिन महिला बंदियों को टेराकोटा की मूर्तियों पर पेटिंग करना सिखाया गया। इस हुनर को सीखने के बाद महिलाएं बाहर भी जाकर अपने पैर पर खड़ी हो सकेंगी।

ओमप्रकाश कटियार, जेल अधीक्षक