- नगर निगम के पास नहीं है प्रॉपर फॉगिंग मशीन, रोज नहीं हो पाती फॉगिंग

- घर, दुकान हो या ऑफिस, दिन में भी काट रहे मच्छर

GORAKHPUR: यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे कर्मचारी रमेश कुमार सुबह से लेकर देर रात 12 बजे तक कलेक्ट्रेट में बिता रहे हैं। दिनभर थक-हारकर जब सोने जाते हैं तो मच्छर सोने नहीं देते। अफसरों के लिए यह छोटी बात है लेकिन रमेश काफी परेशान हैं। उनकी तरह, बाकी एंप्लाइज, स्टूडेंट, आम पब्लिक सब परेशान हैं। सिटी में चाहे आप घर में रहिए, दुकान में या ऑफिस में, हर जगह दिन में भी मच्छर परेशान कर रहे हैं। उधर, नगर निगम के अधिकारी आराम से इस हालात से बेखबर बने हुए हैं।

रोज 10-20 रुपए खर्च

चुनाव का माहौल है तो राज्य सरकार के अधीनस्थ विभागों के कर्मचारी देर रात तक चुनावी ड्यूटी में व्यस्त हैं। कार्यस्थल पर मच्छरों से परेशानी होने पर लोग क्वायल आदि का यूज करते हैं। जिसमें रोज 10-20 रुपए खर्च होते हैं। यही नहीं, सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में होम एग्जाम भी शुरू हो चुके हैं। स्टूडेंट्स को प्रीपरेशन में दिक्कत होती है। घरों में भी लोग क्वायल आदि का सहारा ले रहे हैं।

70 वार्ड, 35 मशीन

नगर निगम के नगर स्वास्थ्य विभाग में करीब 35 फॉगिंग मशीनें हैं। जबकि नगर निगम परिक्षेत्र में कुल 70 वार्ड हैं। हालांकि नालियों में छिड़काव के लिए 70 मशीनें हैं, लेकिन वह अधिकतर विभाग में ही पड़ी रहती हैं। मोहल्लों में कभी-कभार ही फॉगिंग होती है। वार्ड के अनुपात में मशीनों की संख्या कम होने के कारण प्रत्येक वार्ड में रोज फॉगिंग नहीं हो पाती। फॉगिंग के दिन राहत मिलती है तो फिर अगले दिन से परेशानी शुरू हो जाती है।

फॉगिंग में यह होता है यूज

- 5 लीटर डीजल

- 1 लीटर पेट्रोल

- 250 एमएल (किंग फॉग या लिट्रिला ऑयल) केमिकल

(इनके मिश्रण से फॉगिंग कराई जाती है.)

चुनिंदा जगहों पर होती फॉगिंग

नगर निगम के दावे की मानें तो पूरे सिटी में फॉगिंग होती है लेकिन मोहल्लों के लोग बताते हैं कि कई जगह तो महीनों तक फॉगिंग नहीं होती। वहीं एक सफाई कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें उसी क्षेत्र में फॉगिंग के लिए भेजा जाता है, जहां से पार्षद की तरफ से डिमांड आती है। ज्यादातर उन्हीं जगहों पर छिड़काव कराए जाते हैं, जहां मोहल्ले में शादी या कोई कार्यक्रम वगैरह होते हैं।

यह होना चाहिए

- प्रत्येक दिन नालियों में किलोथर का छिड़काव होना चाहिए।

- किलोथर मच्छर के लार्वा को खत्म कर देता है।

- मोहल्लों में फॉगिंग और नालों में छिड़काव होना चाहिए।

मच्छर के काटने से यह होती बीमारी

- मलेरिया

- डेंगू

- चिकनगुनिया

वर्जन

रोस्टरवाइज सभी वार्डो में छिड़काव और फॉगिंग की जाती है। मच्छरों से लोगों को निजात दिलाने की कोशिश की जा रही है।

- श्रवण कुमार, सफाई निरीक्षक, स्वास्थ्य विभाग

शहर की नालियां खुली हैं और इस महीने मच्छर भी अधिक पैदा हो रहे हैं। इसलिए प्रत्येक दिन फॉगिंग और छिड़काव कराई जा रही है।

- डॉ। सत्या पांडेय, मेयर, जीएमसी