- लर्निग हब : एकेडमिक इंस्टीट्यूशन एंड डीडीआर टॉपिक पर मीटिंग ऑर्गनाइज

- आपदा प्रबंधन में इंस्टीट्यूशन के पार्टिसिपेशन को लेकर हुआ डिस्कशन

विभिन्न आपदाओं में यूथ का एक्टिव पार्टिसिपेशन और उनके जरिए से प्रतिउत्तर के लिए कम्युनिटी की एबिलिटी को सुदृढ़ बनाने में शैक्षिक संस्थाओं को ''सीखने का केन्द्र'' के रूप में डेवलप किया जाना है। इसके लिए लर्निंग हब : एकेडमिक इंस्टीट्यूशन एंड डीडीआर टॉपिक पर मीटिंग ऑर्गनाइज की गई। सर्किट हाउस, गोरखपुर में ऑर्गनाइज इस मीटिंग की अध्यक्षता यूपी राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ले। जनरल रविन्द्र प्रताप शाही ने किया। मीटिंग में गोरखपुर यूनिवर्सिटी और एमएमएमयूटी से डीडीएमए का एमओयू कर फील्ड में रिसर्च की बात पर सहमति बनी है।

घटना में हो कम नुकसान, इस पर करें फोकस

उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें कम्युनिटी लेवल तक ऐसी फौज का निर्माण करना है, जो आपदाकाल में शासन-प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आपदा के प्रभाव को मिनिमाइज करने के लिए काम करे। इसके लिए जरूरी है कि हमें विश्वविद्यालयों व उससे सम्बद्ध महाविद्यालयों के स्टूडेंट्स को ऐसी रिसर्च को बढ़ावा देना होगा, जिससे कि आपदाओं की घटनाओं में कम से कम क्षति हो। इसके लिए अध्ययन, कार्यों, योजनाओं का निर्माण व क्षमता संव‌र्द्धन के लिए पाठ्यक्रम व प्रशिक्षण के जरिए स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने की जरूरत है। सीडीओ इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि ग्राम स्तर तक विभिन्न आपदाओं को देखते हुए कम्युनिटी लेवल तक अवेयरनेस व क्षमता संव‌र्द्धन को और अधिक सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है। एडीएम (वि/रा)/प्रभारी अधिकारी (आपदा) राजेश कुमार सिंह ने उपाध्यक्ष को आश्वस्त करते हुए कहा कि जनपद-गोरखपुर आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सदैव ही उत्कृष्ट कार्य करने हेतु प्रयासरत रहा है। आगे भी विश्वविद्यालय से समन्वय स्थापित कर इस क्षेत्र में शासन की मंशा के अनुरूप कार्य किया जाएगा।

यूनिवर्सिटी करेगी पूरा सहयोग

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में डिफेंस स्टडीज के एचओडी प्रो। हर्ष कुमार सिन्हा ने बताया 2010 से ही आपदा प्रबंधन का पाठ्यक्रम संचालित है। पाठ्यक्रम को पूर्ण कर कई छात्रों ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में न केवल सिर्फ शहर और बल्कि प्रदेश स्तर तक अपने काम से नाम रौशन किया है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में मुख्यमंत्री के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है और आने वाले समय में शोध, अध्ययन व प्रशिक्षण गतिविधियों के माध्यम से अपना पूरा सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि यदि इस काम में होने वाले व्यय के लिए अलग से बजट का आवंटन किया जाए तो हम और बेहतर शैक्षिक गतिविधियों को ऑर्गनाइज कर स्टूडेंट्स को अपग्रेड कर सकते हैं। उपाध्यक्ष ने कहा कि आप कार्य योजना का निर्माण कर बजट की मांग करिए सरकार आपको आवश्यकतानुसार बजट उपलब्ध कराएगी।

रिसर्च में करें प्रभावी काम

एमएमएमयूटी के रजिस्ट्रार प्रो। जीउत सिंह ने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि पूर्व के अनुभवों व नए रिसर्च से निकले परिणामों के अनुरूप काम करने की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि स्टूडेंट्स की क्षमताओं को सशक्त करने के लिए पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन विषय का विस्तार कर, विभिन्न आपदाओं के दृष्टिगत नए रिसर्च, अध्ययन व प्रशिक्षण के लिए योजना का निर्माण कर प्रभावी काम किया जाए। बैठक का संचालन करते हुए जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने पीपीटी के जरिए गोरखपुर में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए काम और किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण गोरखपुर इस दिशा में यूनिसेफ के सहयोग से पिछले 2 सालों से काम कर रही है। साथ ही यूनिवर्सिटी के आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम के पूर्व व वर्तमान स्टूडेंट्स के साथ लोगों को अवेयर भी किया जा रहा है। पीजीवीएस गोरखपुर डॉ। भानू ने प्रधानमंत्री के 10 सूत्रीय एजेंडे पर रोशनी डालते हुए इसी पर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

मीटिंग में यह हुए फैसले -

- लखनऊ यूनिवर्सिटी के साथ यूपी राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण द्वारा किए गए अनुबंध के आधार पर गोरखपुर यूनिवर्सिटी और एमएमएमयूटी के साथ जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण भी अनुबंध कर वर्क करे।

- गोरखपुर यूनिवर्सिटी और एमएमएमयूटी उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए आपदा प्रबंधन व जलवायु परिवर्तन टॉपिक पर शॉर्ट टर्म कोर्स संचालित करे, जिससे वे अपने मुख्य कोर्स के साथ-साथ आपदा प्रबंधन की बारीकियां भी सीख सकें।

- ऑनलाइन व सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न आपदाओं में क्या करें, क्या न करें विषयक लघु जागरूकता संदेशों को बढ़ावा दिया जाए, जिससे अधिक से अधिक जनमानस को फायदा हो सके।

- प्राइमरी लेवल पर ही स्नेक बाइट और वज्रपात जैसी आपदाओं का पाठ्यक्रम में सरल शब्दों में सम्मिलित किया जाए, जिससे छोटे बच्चे खुद अवेयर होते हुए परिवार को भी अवेयर करें।

- स्टूडेंट्स को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार के अवसरों से अवगत कराने की जरूरत है। इस क्षेत्र में वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी असीम सम्भावनाएं हैं।