गोरखपुर (ब्यूरो)। दोनों पेशेंट पीजीआई चंडीगढ़ से रेफर किए गए थे। यह अपनी तरह का अभिनव प्रयोग था। इसको लेकर एचओडी डॉ। सुनील गुप्ता की रिसर्च ब्राजीलियन जनरल ऑफ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित हुई है। उन्होंने दो हफ्ते पूर्व चीन में भी इस रिसर्च पेपर को प्रस्तुत किया है। डॉ। सुनील ने बताया कि पीजाआई चंडीगढ़ से 58 वर्षीय पुरुष और 22 वर्षीय युवती रेफर हुई। दोनों कुष्ठ बीमारी से पीडि़त थे। उन्हें माइक्रो बैक्टेरियल लेप्टी का रिएक्शन हो गया। रिएक्शन के कारण उनके शरीर में गांठें बनने लगी थीं। तेज फीवर, बदन दर्द, आंखों लाल हो गई व शरीर की मसल्स कमजोर होने लगी थी। इसे कंट्रोल करने के लिए स्टेरॉयड दिया गया। उससे भी शरीर की नसों में सूजन व ब्लड की कमी होने लगी। इस रिएक्शन को इंरिदया नोडोसम लेप्रोसम कहते हैं। लेप्रा रिएक्शन को दवाओं से कंट्रोल करने में 6 से 8 साल तक का समय लग जाता है। यह स्थिति जानलेवा साबित होती है।

पेशेंट हुए स्वस्थ

इस वैक्सीन का चमत्कारिक असर दोनों पेशेंट्स पर दिखा। दोनों पेशेंट्स में संक्रमण पूरी तरह कंट्रोल हो गया। वह स्वस्थ हो गए। संक्रमण का प्रभाव भी कम होने लगा। जिस ट्रीटमेंट में 6 से 8 साल लग जाते थे। वह दो हफ्ते में हो गया।

डॉ। सुनील गुप्ता, एचओडी, डर्मेटोलॉजी