गोरखपुर (ब्यूरो).सपा कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जनसभा को संबोधित करने के लिए 15 फरवरी 2014 को मुलायम सिंह यादव मानबेला आए थे। इसी क्रम में सेंट एंड्रयूज डिग्री कॉलेज में साम्प्रदायिकता विरोधी रैली को संबोधित किया था। इससे पहले मुलायम सिंह यादव 2011 में पार्टी के राज्य सम्मेलन में गोरखपुर आए थे। उस राज्य सम्मेलन में अखिलेश यादव पहली बार समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। उसी दौरान 10 फरवरी को नेताजी ने सुयश कॉलेज का उद्घाटन भी किया था। सपा के मीडिया प्रभारी राजू तिवारी ने बताया, नेता जी का गोरखपुर से बेहद लगाव था। तभी तो 2004 से 2007 तक वे 14 बार गोरखपुर आए थे। इसके बाद भी अनवरत उनका आनाजाना लगा रहा। एमपी इंटर कालेज में आयोजित शिक्षक सम्मेलन के दौरान उन्होंने स्वागत गीत गाने वाली महिला शिक्षिका को मंच से ही स्कूल की प्रिंसिपल बनाए जाने की घोषणा कर दी थी।

दोहरी प्रोन्नति योजना के साथ बढ़ा दी सेवा की उम्र

पूर्व कुलपति प्रो। रजनीकांत पांडेय ने जब सुना कि नेताजी का निधन हो गया है तो वे विचलित हो उठे। विश्वविद्यालय तो गए लेकिन पढ़ाने में मन नहीं लग रहा था। शोक में दो बजे विश्वविद्यालय बंद होने के बाद वे सैफई निकल गए। बातचीत में उन्होंने बताया कि शिक्षकों के प्रति उनका गहरा लगाव था। नेता जी ने ही दोहरी प्रोन्नति योजना के साथ शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 62 वर्ष की स्वीकृति प्रदान की थी। उन्होंने बताया कि वह 1990 में समाजवादी ङ्क्षचतक जनेश्वर मिश्र व प्रो। चितरंजन मिश्र के साथ नेताजी से मिले थे। बड़ी सोच और शिक्षकों के प्रति सम्मान ने उनके प्रति उनका झुकाव बढ़ा दिया। 2012 में लखनऊ में उन्होंने अखिलेश यादव से परिचय कराया। 2013 में बहुमत की सरकार बनने के बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की पहल पर उन्हें सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर को ओएसडी बनाया गया। 21 मई 2015 में प्रथम कुलपति बने।

सीएम बनते ही चैंबर बनवाने के लिए किया निर्देशित

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (तत्कालीन गोरखपुर विश्वविद्यालय) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व लोकतंत्र सेनानी सेवा संस्थान के अध्यक्ष राम ङ्क्षसह बताते हैं, वह 1968 से उनके साथ जुड़े रहे। 1987 में आजमगढ़ में किसी कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। इस दौरान वर्षा होने लगी और वे अधिवक्ताओं के साथ कचहरी में रुक गए, लेकिन कोई भवन नहीं होने से वे भीग गए। इस दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री बनते ही वे चैंबर बनवाएंगे। 1989 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के सभी कचहरी में अधिवक्ताओं के लिए चैंबर बनवाने के लिए निर्देशित कर दिया।

अवधेश यादव के नेतृत्व में सैफई रवाना हुए कार्यकर्ता

मुलायम ङ्क्षसह यादव के निधन की खबर सुनते ही सपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई। निवर्तमान जिलाध्यक्ष अवधेश यादव, सपा सहित पार्टी के नेताओं ने नेताजी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपूरणीय क्षति बताया है। बेतियाहाता स्थित कार्यालय पर निवर्तमान जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में कार्यकर्ता जुटे और अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए सैफई के लिए रवाना हो गए।