गोरखपुर (अमरेंद्र पांडेय)।इसीलिए अब पेरेंट्स भी बेटे बेटियों में भेद नहीं कर रहे। सीएम सिटी मेें यूं तो बेटियों से ज्यादा बेटे हुए, लेकिन ब्रह्मपुर, खोराखार ब्लॉक में ज्यादा बेटियों ने जन्म लेकर बेटों को पीछे छोड़ दिया। बेटियों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार भी तमाम तरह की स्कीम चला रही है। साथ ही बेटियों और महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए सरकारी मशीनरी काम कर रही है।

क्यों मनाते हैं नेशनल गल्र्स चाइल्ड डे

बालिकाओं के खिलाफ होने वाली कुरीतियों के अंत और किशोरियों को समाज के प्रथम पायदान पर लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 24 जनवरी को 'नेशनल गल्र्स चाइल्ड डेÓ मनाते हैं। सरकार और यूनिसेफ मिलकर बालिकाओं के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके और बालिकाओं के रहने लायक सुरक्षित समाज बन सके। 'नेशनल गल्र्स चाइल्ड डेÓ मनाने की शुरुआत 2009 में हुई थी।

एक नजर में जन्मे बच्चे

ब्लॉक - मेल - फीमेल

बांसगांव - 558 - 481

बड़हलगंज - 1046 - 960

बेलघाट - 760 - 725

ब्रह्मïपुर - 856 - 861

कैंपियरगंज - 1173 - 1082

चारगावां - 870 - 822

गगहा - 537 - 479

गोला - 1028 - 877

जंगल कौडिय़ा - 941 - 818

कौड़ीराम - 874 - 786

खजनी - 795 - 710

खोराबार - 1002 - 1008

पाली - 509 - 455

पिपराइच - 863 - 765

पिपरौली - 954 - 870

सहजनवां - 897 - 735

सरदारनगर - 833 - 726

उरवा - 692 - 569

डीएचक्यू - 4838 - 3936

कुल - 20,727 - 18,302

(नोट: हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार आंकड़े एक अप्रैल 2022 से 31 दिसंबर तक के हैं.)

बेटियों के लिए स्कीम

पोषण अभियान, आंगनबाड़ी सेवा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, बेटी बचाओ बेटी पढाओ, योजना, वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), महिला हेल्पलाइन का सार्वभौमीकरण, बाल संरक्षण सेवा योजना, किशोरियों के लिए योजना, स्वाधार गृह योजना, उज्ज्वला योजना।

'शक्ति' को ऐसे दे रहे सुरक्षा

केस 1

वन स्टॉप सेंटर पर लक्ष्मी (काल्पनिक नाम) ने अपना केस 181 पर दर्ज कराया। शिकायत में उसने बताया कि उनकी सास व ननद ने उनके हाथ को जला दिया। उसके बाद वन स्टॉप की टीम ने पुलिस की मदद से उन्हें सहयोग किया। उनका मुकदमा नहीं दर्ज हो रहा था, लेकिन टीम ने मुकदमा दर्ज कराकर उनकी मदद की।

केस टू

चंपा नाम की एक लड़की अपने घर से नाराज होकर चली गई। वह एक युवक से बात करती थी, लेकिन जब पिता ने डांटा तो युवक से बातचीत बंद कर दी थी। लेकिन उसकी काउंसलिंग कर वन स्टॉप की टीम ने उसके परिजनों के पास भिजवाया।

समस्याओं का किया जाता समाधान

डीपीओ सरबजीत सिंह ने बताया, महिला उत्पीडऩ के केसेज में वन स्टॉप सेंटर की अहम भूमिका है। अगर किसी पीडि़त महिला की सुनवाई नहीं होती है, उस कंडीशन में उसे 181 पर कॉल करना चाहिए। मदद के लिए टीम 24 घंटे काम करती हैं।