गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर यूनिवर्सिटी की गाड़ी जिस तरह से डीरेल है, उससे नई वीसी के लिए यूनिवर्सिटी को स्मूदली रन करने की राह इतनी आसान नहीं है। यूनिवर्सिटी के पास भले ही नैक 'ए प्लस प्लसÓ ग्रेड हो लेकिन यहां अब भी स्टूडेंट्स को रिजल्ट का इंतजार है। एडमिशन हो रहे हैं, लेकिन इसमें भी तमाम खामियां हैं, वहीं पुराने स्टूडेंट्स भी बढ़ी फीस को लेकर परेशान हैं तो आउट सोर्स कर्मचारी सैलरी के लिए परेशान हैं। ऐसे में ज्वाइन करने के बाद वीसी पहले पुरानी प्रॉब्लम सॉर्ट आउट करने के बाद ही अपनी जिम्मेदारी का दायित्व निभा सकेंगी।

फीस वृद्धि बड़ी समस्या

यूनिवर्र्सिटी में हाल ही में हुई फीस वृद्धि स्टूडेंट्स के लिए एक बड़ी समस्या है। इसको लेकर स्टूडेंट्स ने काफी प्रदर्शन भी किए हैं और खासा बवाल भी हुआ है। इन तमाम मांगों को लेकर अखिल विद्यार्थी परिषद की वीसी ने तीखी नोंकझोंक भी हुई है और इसमें छात्रों पर केस तक दर्ज किया गया है। इन मामलों को तो सॉर्ट आउट करना ही है, वहीं ऑड सेमेस्टर के ऐसे बहुत स्टूडेंट्स हैं जो फीस पेमेंट नहीं कर पाए हैं और अब रजिस्ट्रेशन विंडो भी क्लोज हो गया है, ऐसे में इनके हित को देखते हुए भी नवागत वीसी को फैसला लेना है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का पेमेंट

यूनिवर्सिटी में ज्यादातर काम आउटसोर्स एजेंसी के जरिए कराए जा रहे हैं। मगर प्रॉपर और रेग्युलर पेमेंट न होने की वजह से आउट सोर्स कर्मचारी भी काफी परेशान हैं। काम कर रहे कर्मचारियों की पांच महीने की सैलरी बाकी है। प्रो। राजेश सिंह के कार्यकाल में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सैलरी का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहा। हर बार प्रदर्शन के बाद कुछ माह की सैलरी दी गई है, लेकिन बकाया को खत्म नहीं किया जा सका है। अब तक इनकी अप्रैल, मई, जून, जुलाई और अगस्त की सैलरी नहीं मिली है।

सेमेस्टर रिजल्ट में देर

रिजल्ट में देरी की समस्या यूनिवर्सिटी में काफी पुरानी हो गई है। जनवरी में हुए सेमेस्टर एग्जाम्स का रिजल्ट अभी तक नहीं जारी हुआ। यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेजों के स्टूडेंट्स को डिग्री और मार्कशीट का इंतजार है। इसकी वजह से यूनिवर्सिटी का कॉन्वोकेशन पिछले सेशन में भी लेट हुआ, जिसकी वजह से इसमें राज्यपाल शिरकत नहीं कर सकीं। इस बार भी यूनिवर्सिटी में रिजल्ट तो आ रहे हैं, लेकिन इनकी रफ्तार काफी सुस्त है। ऐसे में यूनिवर्सिटी का इस बार कॉन्वोकेशन कब होगा और रिजल्ट कब तक निकल जाएंगे, नए वीसी के लिए इसको ट्रैक पर लाना भी बड़ा चैलेंज होगा।

काम का बंटवारा सबसे बड़ा चैलेंज

यूनिवर्सिटी में जिम्मेदारियों को सीरियस नहीं है। यही वजह है कि कुछ ऐसे प्रोफेसर हैं जिनके पास ढेरों पद हैं और कई ऐसे प्रोफेसर हैं जिनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है। एक व्यक्ति के पास ज्यादा सभी पद होने की वजह से उन पर वर्कलोड बढ़ा रहता है। ऐसे में स्टूडेंट्स की समस्याओं का निस्तारण समय से नहीं हो पाता, जिससे यूनिवर्सिटी की व्यवस्था प्रभावित रहती है। इस प्रॉब्लम को सॉर्ट आउट करना भी नई वीसी के लिए बड़ा चैलेंज है।