गोरखपुर (ब्यूरो)। वन विभाग में बंदर पकडऩे के लिए वर्तमान में कोई बजट भी उपलब्ध नहीं है। इन बंदरों को ग्राम प्रधान या नगरीय क्षेत्र में हैैं तो नगर पालिका आदि से धनराशि की व्यवस्था कराकर पकड़वाया जा सकता है। इन बंंदरों को वन क्षेत्र में छोडऩे की अनुमति प्रदान की जाएगी। वहीं जब इस मामले की जानकारी के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने वन विभाग के एक कर्मचारी से इस इस बाबत पूछा कि बंदर पकडऩे की क्या व्यवस्था है। इसके लिए क्या करना होगा तो सीधे तौर पर कहा गया कि बंदर पकडऩे के लिए वन विभाग के पास प्राइवेट लोग हैैं। जो एक बंदर पकडऩे के लिए 5000 रुपए लेते है। यानी की 100 से अधिक बंदरों के आतंक से निजात के लिए नागरिकों को 5 लाख रुपए की चुकाने पड़ेंगे।

पिछले साल आया था मामला

मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले साल 2021 में सुमेर सागर स्थित किरोड़ीलाल का हाता कालोनी के 100 से अधिक परिवार बंदरों के खौफ में जी रहे थे। 100 से अधिक की संख्या में बंदरों का झुंड कॉलोनी में रोज उत्पात मचाते हैैं। मोहल्ले वालों का रहना, चलना फिरना, घूमना, बच्चों का खेलना, महिलाओं का कपड़ा सुखाना सब दूभर हो गया था। इस संबंध में कालोनी निवासी लघु उद्योग भारती के जिला अध्यक्ष दीपक कारीवाल ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत भी दर्ज कराई थी। जिसके जबाब में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि बंदरों को पकडऩे के लिए वन विभाग में कोई दक्ष व्यक्ति नहीं है। निजी व्यक्ति एक बंदर पकडऩे का 5000 रुपए लेते हैं। बंदरों को पकडऩे के लिए विभाग के पास कोई बजट नहीं है।

बंदरों को पकडऩे के लिए हमारे पास कोई टीम नहीं है और ना ही इसके लिए कोई बजट का प्रावधान है। नगर निगम की मदद से बंदर पकडऩे की कोशिश की जाती है।

- विकास यादव, डीएफओ