-उम्मीद के मुताबिक, नहीं आ रहीं अप्लीकेशन

-सिर्फ प्रोफेशनल्स के लिए थी स्कीम, अब मजबूरी में बढ़ाया दायरा

- 480 फ्लैट के लिए निकाली गई थी स्कीम

<-उम्मीद के मुताबिक, नहीं आ रहीं अप्लीकेशन

-सिर्फ प्रोफेशनल्स के लिए थी स्कीम, अब मजबूरी में बढ़ाया दायरा

- ब्80 फ्लैट के लिए निकाली गई थी स्कीम

GORAKHPUR: GORAKHPUR: गोरखपुर में फ्लैट कल्चर काफी तेजी से बढ़ा है। लोग गोरखपुर में शुरू हुई कई स्कीम्स में इनवेस्ट भी कर रहे हैं। मगर गोरखपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी की स्कीम लोगों को लुभा नहीं पा रही है। सभी स्कीम्स में किसी न किसी वजह से लोग इनवेस्ट करने से कतरा रहे हैं। जिन स्कीम्स में किसी ने इनवेस्ट कर दिया है, वह भी अब बैकफुट पर हैं और उन्होंने भी अपनी रकम वापस लेने के लिए प्रॉसेस शुरू कर दी है। हालत यह है कि प्रोफेशनल्स के लिए खास तैयार किए गए पत्रकारपुरम में भी लोगों का इंटरेस्ट फीका सा है, जिसकी वजह से अब इस स्कीम में प्रोफेशनल्स के अलावा दूसरों को मौका देने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों लोग जीडीए की स्कीम्स में इनवेस्ट नहीं करना चाहते हैं। जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की और लोगों का दिल टटोला, तो हकीकत सामने आई।

'आसमान में' फ्लैट के दाम

गोरखपुर में कई प्राइवेट डेवलपर्स फ्लैट का बिजनेस कर रहे हैं और लोगों को उनकी जेब के मुताबिक फ्लैट मुहैया करा रहे हैं। ऐसे में अब लोग गवर्नमेंट की स्कीम्स से खासी उम्मीद में हैं कि वह इन डेवलपर्स से कम रेट में उन्हें आशियाना मुहैया कराएंगे। मगर अब तक ऐसा नहीं हो पा रहा है। जीडीए की अब तक जितनी भी हाउसिंग स्कीम्स हैं, सबके रेट हाई हैं। या यूं कहें कि अगर हम खुद जमीन खरीदकर मकान बनवा लें, तो उसके बाद भी हमारे पास पैसे बच जाएंगे। वहीं प्राइवेट डेवलपर्स के मुकाबले में भी इनके रेट्स काफी हाई हैं। नॉर्मली जहां प्राइवेट के रेट्स फ्0-फ्भ् लाख रुपए के आसपास हैं, तो वहीं जीडीए ने इन स्कीम्स के लिए ब्0 लाख रुपए कीमत तय कर रखी है।

सुविधाओं की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर में भी फर्क

फ्लैट की बात की जाए तो जीडीए की ओर से दिए जाने वाले फ्लैट्स और प्राइवेट डेलवपर्स के फ्लैट में काफी फर्क हैं। जहां प्राइवेट डेवलपर्स प्रॉपर मेनटेनेंस की सर्विस देते हैं, तो वहीं जीडीए ऐसी कोई फैसिलिटी नहीं देता है। वहीं दोनों जगह के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटी में भी काफी फर्क है। जीडीए में सेमी फर्निश्ड फ्लैट दिया जाता है, जबकि प्राइवेट में फुली फर्निश्ड फ्लैट प्रोवाइड करते हैं। इसी तरह फैसिलिटी में भी काफी फर्क है। जीडीए के काफी आवंटी तो आज तक फैसिलिटी का इंतजार कर रहे हैं।

विज्ञापन में दी गई कीमत में हुआ संशोधन

पत्रकारपुरम की बात की जाए, तो इस स्कीम के तहत विज्ञापन में फ्लैट की जो कीमत दी गई थी, बाद में उसमें संशोधन कर दिया गया। विज्ञापन के अनुसार करीब क्भ्.भ्0 लाख रुपए इसकी कीमत थी, लेकिन अब पहले, दूसरे और तीसरे फ्लोर के लिए क्8.फ्क् लाख रुपए व जबकि ग्राउंड फ्लोर के लिए ख्0.भ्ब् लाख रुपए निर्धारित किए गए हैं। यह सेमीफíनश्ड फ्लैट की कीमत है। इसके बाद जीएसटी, फ्री होल्ड चार्ज अलग से देना होगा।

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पत्रकारपुरम में आए सिर्फ क्ब्7 आवेदन

राप्तीनगर विस्तार आवासीय योजना के तहत मानबेला में निर्माणाधीन पत्रकारपुरम के लिए उम्मीद के मुताबिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। डिमांड सर्वे में शामिल भ्ख्0 लोगों से पंजीकरण कराने के लिए अप्लीकेशन डिमांड की गई थी, लेकिन फ्0 मई तक क्ब्0, जबकि 8 जून तक क्ब्7 लोगों ने ही शुल्क जमा किया है। ब्80 फ्लैट के लिए करीब क्0 हजार रुपए एडवांस लिए गए थे। पहले फेज में इन्हीं को ख्ब्0 सेमीफíनश्ड फ्लैट के मूल्य का क्0 फीसदी देकर रजिस्ट्रेशन कराना था। जो आवेदन आए हैं, उनमें से फ्लैट के लिए लॉटरी निकाली जाएगी।

जीडीए ने जो फ्लैट स्कीम निकाली थी, उसमें अप्लीकेशन फॉर्म भरा था, लेकिन प्रॉसेस में लगातार हो रही देर और कब्जा मिलने में लगने वाले समय को देखते हुए इसे विथड्रा कर लिया। जो पैसे जमा किए थे, उसे रिफंड करा लिया।

- प्रीतम तिवारी, प्रोफेशनल

जीडीए में काफी महंगा फ्लैट है और यह फर्निश्ड भी नहीं है। वहीं दूसरे प्राइवेट डेवलपर्स इससे कम पैसे में इससे बेहतर फैसिलिटी दे रहे हैं। वहीं वह कब्जा भी जल्द ही दे देते हैं, जबकि जीडीए में काफी समय लगा जाता है।

- विवेक श्रीवास्तव, प्रोफेशनल