गोरखपुर (ब्यूरो).पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, पितृ विसर्जन के दिन उन लोगों का श्राद्ध तर्पण किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या तिथि भूल जाते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को उसी रूप में मिलता है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। अगर मनुष्य योनि में हो तो अन्न रूप में उन्हें भोजन मिलता है, पशु योनि में घास के रूप में, नाग योनि में वायु रूप में और यक्ष योनि में पान के रूप में भोजन पहुंचाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ब्राह्मण को भोजन और दान आदि से पितर तृप्त होते हैं।
अमावस्या के दिन ऐसे करें श्राद्ध
पंडित राकेश पांडेय के अनसार, पितृ पक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण करें। पितरों के लिए भोजन साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर बनाएं पितरों के लिए बनाए गए भोजन से पहले पंचबली भोग लगाएं। भोजन से पहले पांच ग्रास, गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवों के लिए निकालें। इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराएं। इस दिन शाम को दो, पांच या सोलह दीपक जलाने की भी मान्यता है।