गोरखपुर (ब्यूरो)।रेयर ब्लड ग्रुप होने की वजह से गोरखपुर में कहीं भी बी निगेटिव खून नहीं मिला। ऐसे में परिजनों ने 112 और ट्वीटर के माध्यम से मदद मांगी। जानकारी होते ही देर रात कैंट थाने में तैनात पुलिस कर्मी शिवाम्बुज पटेल मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वहां अमन को अपना बी निगेटिव ग्रुप का ब्लड देकर उसकी जान बचाई। यह तो बानगी भर है, आए दिन अंजान मरीजों की जान गोरखपुर के रक्तवीर बचा रहे हैं।

रक्तवीर नाम से बनाया ग्रुप

शुरू-शुरू में पुलिस विभाग के कुछ पुलिसकर्मियों ने सोशल मीडिया पर आई ऐसी फरियाद जिसमे मरीज की जिंदगी बचाने के लिए खून की डिमांड की गई थी। उसकी मदद कर रहे थे। धीरे-धीरे उनकी टीम में कई महिला पुलिस कर्मी भी इस अच्छे काम में हाथ बंटाने आ गईं। इसके बाद इस टीम ने एक रक्तवीर नाम से ग्रुप बनाया।

जुडऩे लगे संस्था और आम आदमी

गोरखपुर में जिस मरीज की भी जान इन रक्तवीरों ने खून देकर बचाई। वह लोग भी रक्तवीर से जुड़ते गए। अपने घर के सदस्य की जान बचने के बाद उन्हें भी ये समझ में आया कि उनका थोड़ा सा प्रयास किसी के लिए संजीवन बन सकता है, इसलिए अब वह लोग भी रक्तवीर से जुड़ गए। मेडिकल कॉलेज या फिर कई अन्य हॉस्पिटल में मददगार बने रक्तवीरों की चर्चा तेज होने लगी। इसके बाद संस्था और आम आदमी इस अच्छे काम में मददगार बनने के लिए खुद ब खुद इस ग्रुप से जुडऩे लगा।

दो चार नहीं अब सैकड़ों में पहुंच गई संख्या

कैंट थाने में तैनात पुलिस कर्मी शिवांबुज पटेल ने बताया कि हम लोगों ने पहले तीन चार लोगों का एक ग्रुप बनाया था। जिसमे कभी भी किसी को खून की आवश्यकता होती थी, तब हम लोग मदद करते थे। इस समय पुलिसकर्मी से लेकर अन्य सामाजिक व्यक्ति और युवा वर्ग इस रक्तवीर ग्रुप ज्वाइन कर रहा है। इस समय इस ग्रुप में 288 सदस्य हो गए हैं।

ढाई साल में बचाई ढेरों जिंदगियां

रक्तवीरों ने पिछले ढाई साल से अब तक 680 मरीजों को मौके पर ब्लड अवेलबल करा असमय काल के गाल में समाने से बचाया है। रक्तवीरों ने इस समय में 12 बार रक्तदान शिविर लगवाया। जिसमे एक हजार से रक्तदान कराकर एक हजार से अधिक यूनिट ब्लड डोनेट कराया गया। ये टीम लोगों को अवेयर भी करती है।

दस मई केस-1

सोशल मीडिया पर मांगी मदद

बिहार निवासी राम नारायण चौहान गुरु गोरखनाथ हॉस्पिटल में एडमिट थे। दस मई को ऑपरेशन के लिए अर्जेंट में एक यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ी। ब्लड देने वाला कोई नहीं था। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से रक्तवीर युवा क्लब गोरखपुर से संपर्क किया। जिसे देखते ही गोरखनाथ मंदिर सुरक्षा में तैनात हेड कांस्टेबल संदीप सिंह रक्तदान कर मरीज की जान बचाई।

26 जून केस 2

प्रेग्नेंट लेडी को चाहिए था 2 यूनिट ब्लड

रेनू यादव 35 वर्ष मेडिकल कालेज में 26 जून को एडमिट हुई थीं। उनका प्रेग्नेंसी का ऑपरेशन होना था। 2 यूनिट ब्लड की आवश्यकता थी। 1 यूनिट ब्लड उनके पति ने दे दिया। इसके बाद और दूसरा यूनिट ब्लड उन्हें कोई देने वाला नहीं मिला। ऐसे में मां और बच्चे दोनों का जीवन खतरे में पड़ गया। परिजनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से मदद मांगी। जब रक्तवीर क्लब के मेंबर एयरपोर्ट पर तैनात कांस्टेबल अमित दुबे को इसकी खबर लगी। तब वह आकर महिला और बच्चे का जीवन बचाने के लिए ब्लड डोनेट करने पहुुंच गए।