- यूपी-100 पर किसी घटना की सूचना देने वाले को ही उठा ले जा रही पुलिस

- घंटों थाने पर बैठाकर पीडि़त को किया जा रहा प्रताडि़त, उसे छुड़ाने में घर वालों के छूट जा रहे पसीने

GORAKHPUR: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को पब्लिक के साथ अपना व्यवहार सही रखने का आदेश दिया है लेकिन उनके ही शहर गोरखपुर के थानों में पब्लिक के साथ बुरा सलूक हो रहा है। किसी वारदात पर यूपी-100 को सूचना देने पर पीआरवी उल्टे पीडि़त को ही थाने उठा ले जा रही है। फिर उससे पूछताछ होती है। जब उसकी खोज में घर वाले पहुंचते हैं तो थाने पर तैनात पुलिसकर्मी पीआरवी का मामला बताते हैं और उसे छोड़ने से इनकार कर देते हैं। पीआरवी और थानों की पुलिस के बीच चल रहे खेल ने किसी घटना की सूचना देने वालों में दहशत पैदा कर दिया है। हाल में हुई कई घटनाएं इस बात की तस्दीक कर रही हैं।

केस-1

खजनी एरिया के चिलौना निवासी वीरेंद्र सिंह का पट्टीदारों से खेत की भूमि को लेकर विवाद चल रहा है। सोमवार को फसल काटने को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हुआ। वीरेंद्र सिंह के बेटे रमेश ने यूपी 100 को सूचना दी। पुलिस पहुंची तो रमेश को ही पकड़कर थाने लेती गई। पुलिस का खौफ इतना था कि बेटे को छुड़ाने के लिए वृद्ध पिता थाने जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। रातभर बेटे के लॉकअप में रहने से परेशान पिता गांव के हनुमान मंदिर पहुंचे और सिर पटककर पुलिस से बेटे को बचा लेने की गुहार लगाने लगे। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें उन्हें संभाला। बात बढ़ने पर पुलिस ने युवक को छोड़ने की जगह उसे शांतिभंग में चालान कर दिया।

केस-2

15 दिन पूर्व चौरीचौरा एरिया के एक युवक को मनबढ़ों ने मारपीट कर घायल कर दिया। पीडि़त ने रात में पुलिस को सूचना दी। पीआरवी उसे लेकर थाने पहुंची। थाने की पुलिस को सौंप करके चली गई। रातभर पीडि़त युवक थाने में बैठा रहा। सुबह उसके रिश्तेदार थाने पहुंचे। तब कुछ पुलिस वालों ने यह कहना शुरू कर दिया कि इसे पीआरवी ने पकड़ा है, जिसका कंट्रोल लखनऊ में है। पुलिस वालों ने उसे छोड़ने के लिए मोलभाव करना शुरू कर दिया। मामला बड़े अधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा तब जाकर युवक को राहत मिली।

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यह चल रहा है खेल

जब कोई पीडि़त किसी घटना की सूचना दे रहा है तो मौके पर पहुंची पीआरवी उसे ही थाने ले जाकर लोकल पुलिस को सौंप दे रही है। थाने की पुलिस पीडि़त के परिचितों को भी थाने बुला ले रही है। फिर आरोपी पक्ष पर कार्रवाई के बजाय पीडि़त पक्ष से ही घंटों पूछताछ कर प्रताडि़त किया जा रहा है। सुलह का दबाव बनाया जा रहा है। इससे भी आगे जाकर शांति भंग में चालान करने की धमकी दी जा रही है और कई का चालान भी कर दिया जा रहा है।

इस बीच पीडि़त पक्ष की तरफ से यदि कोई उनकी बात रखने गया और उन्हें थाने से छोड़ देने की बात की तो उसे समझाया जा रहा है कि यह मामला पीआरवी का है। थाने की पुलिस कह रही है कि यदि आप कुछ कहना चाहते हैं तो सीधे पीआरवी के कंट्रोल रूम लखनऊ शिकायत कीजिए। पीडि़त पक्ष को और पीडि़त कर थाने की पुलिस ऐंठने में लग जा रही है। पीडि़त हारकर सुलह के लिए तैयार हो जाते हैं तो दोनों तरफ से पुलिस वसूली करती है। यदि नहीं तैयार हुए तो उन्हें ही शांतिभंग में चालान कर दे रही है।