गोरखपुर (ब्यूरो).हिंदु रीति-रिवाज के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया में कई तरह के पूजन सामग्री की जरूरत पड़ती है। इसके लिए महिलाओं ने जितिया का धागा, चूड़ा, अनरसा, पेड़ाकड़ी, गोलवा साग, दही, मडुआ का आटा, कुशी केराव, झिंगी व इस व्रत से जुड़े और भी सामानों की खरीदारी की। इसके साथ ही अधिकतर महिलाओं ने जितिया भी गुथवाई।

बनवाई सोने की जितिया

पुत्र की लंबी आयु के इस त्योहार के लिए महिलाओं ने सोने और चांदी की भी जितिया गुथवाई। इस सोने की जितिया बनवाने में एक खास नियम होता है। जिसकी जितनी संतान होती है, उसको उतना ही लॉकेट बनवाना होता है। हालांकि इसके साथ ही धागा धारण करना बहुत जरूरी होता है। महिलाएं लाल या पीले रंग की धागा अपने गले में धारण करती हैं, जिसमें एक धागा साधारण तरीके का होता है। इसमें तीन जगह गांठे लगी रहती हैं। इसकी गांठे सामान्य होती है। जिउतिया के धागे व जिउतिया के लॉकेट व्रत वाले दिन यानी अष्टमी के दिन चीलो माता पर चढ़ाया जाता है और अगले दिन परंपरा के अनुसार अपने बच्चे के गले में धारण कराकर माताएं अपने गले में धारण कर लेती हैं।