- मार्च-अप्रैल में जमकर चलता है कारोबार, लगा ताला

- शर्तो पर खुले प्रेस तो निकल जाएगा कर्मचारियों का वेतन

GORAKHPUR: लॉकडाउन के कारण लाखों की लागत से लगीं प्रिंटिंग मशीनों पर कोई काम नहीं हो पा रहा है। प्रिंटिंग मशीनें बंद होने से तकनीकी रूप से खराब हो रही हैं। महंगों दामों पर खरीदी गईं नई टेक्नोलॉजी की मशीनों के पा‌र्ट्स में खराबी आने से संचालकों को बड़े नुकसान का डर सता रहा है। संचालकों का कहना है कि मार्च और अप्रैल में अधिक बिजनेस होता है। लॉकडाउन के कारण पूरा बिजनेस चौपट हो गया। गवर्नमेंट ऑफिसेज में किए गए काम का पेमेंट रुकने से कर्मचारियों का वेतन भी अरेंज नहीं हो पा रहा। शहर में करीब दो सौ छोटे-बड़े प्रिंटर्स हैं। जहां स्कूल से संबंधित स्टेशनरी, बिल बुक, स्टीकर, टैग सहित अन्य सामग्री की छपाई होती है।

मार्च-अप्रैल में होता ज्यादा बिजनेस

शहर में प्रिंटिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि मार्च और अप्रैल में ज्यादा व्यवसाय रहता है। स्कूलों में नए सत्र की शुरूआत होने से किताबों, परीक्षा की सामग्री, डॉयरी, स्टीकर, कवर, कैलेंडर, विज्ञापन मैटेरियल्स, बैनर, पोस्टर सहित अन्य सामग्री की जरूरत पड़ती है। लेकिन मार्च-अप्रैल और फिर मई में लॉकडाउन होने से पूरा कारोबार ठप पड़ गया है।

फरवरी में खरीदा कच्चा माल, फंस गई पूंजी

प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि फरवरी में कच्चे माल की खरीदारी हो जाती है। मार्च में काम बढ़ने की वजह से कच्चा सामान जुटाने में प्रॉब्लम होती है। इसलिए सभी लोग पहले से तैयारी कर लेते हैं। मार्च के अंतिम हफ्ते में शुरू हुआ लॉकडाउन मई के दूसरे हफ्ते में भी जारी रहा। इससे प्रिंटिंग की सारी गतिविधियां बंद हो गईं। उधर जमा पूंजी कागज सहित अन्य कच्चे मैटेरियल्स में फंस गया। कोई इनकम न होने से कर्मचारियों का वेतन, बैंक की किश्त और दुकानों का किराया देने में मुश्किल खड़ी हो गई है।

क्रमवार प्रिंटिंग प्रेस चलाने की मिले इजाजत

संचालकों का कहना है कि प्रिंटिंग के बिजनेस का काफी असर पड़ा है। लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए शर्तो के साथ प्रेस खोलने की इजाजत मिलनी चाहिए। हफ्ते में क्रमवार दिन निर्धारित कर दिया जाए जिससे लाखों रुपए की मशीनों को खराब होने से बचाया जा सके। प्रिंटिंग का काम बंद होने से बिजली का फिक्स चार्ज भी देना होगा। जबकि कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर भी टेंशन बनी है।

कोट्स

जिस तरह से अन्य कारोबार को खोलने की इजाजत मिल रही है। उसी तरह से कुछ शर्तो के साथ प्रिंटिंग प्रेस खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए। लॉकडाउन के कारण पूरा बिजनेस चौपट हो चुका है।

बंटी, संचालक

प्रशासन को चाहिए कि हम लोगों की प्रॉब्लम को देखते हुए क्रमवार प्रेस खोलने की इजाजत दें। इससे कम से कम कर्मचारियों का वेतन जुटाने में मदद मिल सकेगी।

धर्मेद्र कुमार,संचालक

मार्च-अप्रैल में सर्वाधिक काम होता है। इसलिए फरवरी में सारा कच्चा माल खरीद लिया जाता है। मार्च-अप्रैल में स्कूलों का काम होता है। लॉकडाउन के कारण कोई काम नहीं हो सका।

रमेश मौर्या, संचालक