- बिना पढ़े ही अगली क्लास में प्रमोट हो गए 3.50 लाख बच्चे

- गवर्नमेंट स्कूलों के साढ़े तीन लाख बच्चे पढ़ाई में हो गए कच्चे

- अप्रैल में नया सेशन शुरू होती ही बंद हो गए स्कूल

- कई स्कूलों में चल रही ऑनलाइन पढ़ाई, बच्चों को समझाने में टीचर हो रहे परेशान

GORAKHPUR: कोरोना काल का बीता दौर अपने आप में बहुत कठिन था। अब वो दौर एक बार फिर लौट आया तो परेशानियां दोगुनी बढ़ने लगी है। परिषदीय स्कूलों में पिछले साल कोरोना की वजह से जैसे-तैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पढ़ाई तो जरूर हुई, लेकिन उसका फायदा आधे बच्चे भी नहीं उठा पाए। बाद में परिषदीय स्कूलों के एक से 8वीं क्साल में पढ़ने वाले साढ़े तीन लाख बच्चों को शासन के निर्देश पर प्रमोट कर दिया गया। अब इन बच्चों को पढ़ाने में टीचर्स को भी अपना पसीना बहाना पड़ रहा है। क्लास में तो बच्चे समझ नहीं पा रहे थे एक बार कोरोना की वजह से गुरूजी को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों को समझाने आए तो सारी बातें हवा हवाई साबित हो रही हैं।

एक साल बाद मार्च में खुला स्कूल

एक साल तक बंद रहे स्कूल मार्च में खुले। केवल 15 से 20 दिन तक ही स्कूल चले थे कि अचानक 24 मार्च से एक बार फिर स्कूलों को कोरोना की वजह से बंद करना पड़ा। टीचर ने बताया कि स्कूल खुला तो पिछली क्लास के मुख्य सब्जेक्ट को हम लोग समझा रहे थे। ताकि अप्रैल से नए सेशन में अगली क्लास की बाते बच्चों को असानी से समझ में आ जाए़। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

ऑनलाइन शुरू हुआ नया सेशन

पहली बार ऐसा हुआ है कि नए सेशन की शुरूआत ऑनलाइन हुई है। अप्रैल से कई स्कूलों में ऑनलाइन क्लास शुरू हो गई है। यहां के टीचर्स का कहना है कि अभी 25-30 परसेंट बच्चे ही जुड़े हैं। उनको भी जो कुछ पढ़ाया रहा है। वे उसे समझ नहीं पा रहे हैं। टीचर का कहना है कि कहीं ना कहीं उनके ऊपर प्रमोट का असर दिखने लगा है।

स्कूल- 3000

बच्चे- 3.50 लाख्

स्कूल खुले- 1 मार्च से

नया सेशन शुरू- 1 अप्रैल से

मार्च में स्कूल खुला तो सबसे पहले बच्चों को पिछली क्लास के इंपॉर्टेट चैप्टर को पढ़ाया जा रहा था। इसमें भी कम ही बच्चे स्कूल आना शुरु किए थे। कुछ ही दिन में फिर स्कूल बंद हो गए। अप्रैल से सभी बच्चे प्रमोट कर अगली क्लास की पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन उन्हें पढ़ाना टेंड़ी खीर साबित हो रहा है।

अनीता श्रीवास्तव, टीचर

पहली बार नए सेशन की शुरुआत ऑनलाइन से हो रही है। एक से 8वीं तक बच्चे प्रमोट कर अगली क्लास में जरूर चले गए हैं। लेकिन उनकी अधूरी पढ़ाई का असर उनके ऊपर दिख रहा है। बीच गैप होने की वजह से ये बच्चे आसानी से कुछ भी नहीं समझ पा रहे हैं। लेकिन इन्हें सब समझ में आए इसके लिए हर तरह का प्रयास किया जाएगा।

आशुतोष सिंह, टीचर

कोरोना काल टीचर्स के लिए चुनौती से भरा रहा। मार्च से स्कूल खुलने लगे तो एक बार लगा कि अब सारी चीजें लाइन पर आ जाएगी। लेकिन एक बार फिर कोराना का प्रकोप तेजी से बढ़ा तो स्कूल बंद कर दिए गए। आगे कब खुलेंगे ये कहना कठिन होगा। अब बच्चों को ऑनलाइन हर चीज समझा पाना बहुत कठिन होगा। ये किसी चुनौती से कम नहीं।

- शशिकला यादव, टीचर

स्कूल को हर तरह से हाइटेक बनाया गया। ताकि बच्चों का स्कूल आने में मन लगे। बड़े हाइटेक स्कूल से ये बच्चे मुकाबला करें इसका भी अच्छा प्रयास हुआ। जैसा कि ऑनलाइन पढ़ाई में ये बच्चे पूरी तरह जुड़ नहीं पाते क्योंकि संसाधन की कमी होती है। ऊपर से पिछली बार जैसे-तैसे पढ़कर बच्चे प्रमोट हो गए। अब उन्हें अगली क्लास की पढ़ाई कराना कठीन है।

- भारती शुक्ला, टीचर