गोरखपुर (ब्यूरो).महायोजना 2021 कई समस्याओं का समाधान देने में नाकाम रही थी। जिसके चलते नई महायोजना का सभी को बेसब्री से इंतजार था। जैसे की प्रारूप को सार्वजनिक किया गया, उसे देखने वालों का तांता लग गया। अभी बुकलेट छपकर नहीं आया है लेकिन मानचित्र देखकर ही लोगों की चिंता बढ़ गई है। जिन क्षेत्रों में लोगों को संचालित गतिविधियों के अनुसार भू उपयोग में परिवर्तन की उम्मीद थी, उन्हें भी झटका लगा है। तकनीकी पेंच के चलते ग्रीन बेल्ट, ओपेन स्पेस एवं विनियमितीकरण जैसे मुद्दे इस प्रारूप में भी अनुत्तरित ही नजर आ रहे हैं।

शासनादेश का दे रहे हवाला

सामुदायिक भू उपयोग एवं अन्य तरह के भू उपयोग में परिवर्तन को लेकर उम्मीद भी टूटी है। पूरी तरह से पुरानी महायोजना जैसा प्रारूप आने से लोगों के सामने केवल आपत्ति एवं सुझावों का ही सहारा रह गया है। महायोजना 2031 के प्रारूप को महायोजना 2021 जैसा ही प्रस्तुत कर देने को लेकर नियोजन विभाग का अपना तर्क है। 29 जनवरी 2004 को जारी शासनादेश में यह स्पष्ट उल्लेख है कि महायोजना में चिह्नित ग्रीन बेल्ट को हर स्थिति में यथावत बनाए रखा जाए। 2021 के एक शासनादेश का भी हवाला दिया जा रहा है, जिसमें ग्रीन बेल्ट को यथावत बनाए रखने को कहा गया है।

भू उपयोग के लिए मांग जायज

महायोजना के प्रारूप में परिवर्तन नहीं किया गया है लेकिन आम लोग स्वयं ही आपत्ति दर्ज कर परिवर्तन की अपील कर सकते हैं। आपत्ति दर्ज करते समय उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 54 व 55 का उल्लेख करना जरूरी होगा। इस धारा में कहा गया है कि यदि घोषित ग्रीन लैंड को 10 साल तक अधिग्रहीत नहीं किया जाता है तो भूखंड का मालिक छह महीने में जैसा है, उसी स्थिति में भू उपयोग निर्धारित करने की नोटिस दे सकता है। यानी यदि आवासीय उपयोग हो रहा है, तो उसी के रूप में भू उपयोग के लिए मांग जायज होगी। इसी तरह हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 2020 में अनुज सिंघल बनाम स्टेट आफ उत्तर प्रदेश के मामले में ओपेन स्पेस का भू उपयोग परिवर्तित करने का आदेश दिया था।

प्रारूप देखने आए लोगों ने दर्ज कराई आपत्ति

लोगों की सुविधा के लिए सहयुक्त नियोजक कार्यालय जीडीए भवन में महायोजना के प्रारूप की प्रदर्शनी लगाई गई थी। जीडीए वीसी प्रेम रंजन सिंह ने महायोजना के प्रारूप को देखा और आने वाले सभी लोगों की आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया। पहले दिन बड़ी संख्या में लोग प्रारूप देखने आए और आपत्ति दर्ज कराई। वन क्षेत्र के 100 मीटर दायरे में निर्माण प्रतिबंधित करने से जुड़ी आपत्ति भी कई लोगों ने दर्ज कराई है।