गोरखपुर (ब्यूरो).बता दें, खोराबार स्थित प्रतीक्षा आश्रय (गृह बालिका) में 13-18 वर्ष तक की बालिका रहती हैैं। जो साक्ष्य पीडि़ता, संवासिनी निवास करती हैैं, 25 की संख्या में रहने वाली संवासिनियों के हुनरमंद हाथों ने एक से बढ़कर राखियों को मार्केट में भी उतारे जाने तैयारी है, यह संवासिनी न सिर्फ अपने भाइयों को हस्त निर्मित राखियों को डाक से रजिस्ट्री करेंगी। बल्कि इनके द्वारा बनाई गई राखियों से मिलने वाले पैसे को इन्हीं के ऊपर खर्च किया जाएगा, ताकि इनका कौशल विकास हो सके।

संवासिनियों के राखियों को मार्केट में उतारने की तैयारी

इस बार राखियों के मार्केट में संवासिनियों के राखियों को भी तरजीह दी गई है। यही कारण है कि इस बार संप्रेषण गृह के इन किशोरों और संवासिनियों के हाथों से निर्मित राखी खास रहेंगी और इन्हें मार्केट में भी लाया जाएगा।

ताकि बन सकें स्वावलंबी

जिला प्रोबेशन अधिकारी सरबजीत सिंह ने बताया, प्रतीक्षा आश्रय में रहने वालीं साक्ष्य पीडि़त, संवासिनियों का हौसला बढ़ाने का काम लिटिल फ्लावर सोसायटी कर रही है। उनके इस रचनात्मक कार्य के जरिए उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है और तीज-त्योहार पर उन्हें मौका दिया जाता है। अपने अंदर के हुनर को पहचानने के लिए उन्हें काबिल बनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के मौके पर जहां यह हस्त निर्मित राखियां तैयार की जा रही हैैं। वहीं जन्माष्टमी की तैयारियां भी जोरों पर हैैं। प्रतीक्षा आश्रय गृह द्वारा इससे पहले श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित कराई गई थी, जिसमें इनके अंदर छिपे कलाकार और बाल्यपन का बोध हुआ था।

जुड़ सकेंगी समाज की मुख्य धारा से

संवासिनियों व साक्ष्य पीडि़तों द्वारा हस्त निर्मित राखियां बाजार में बिकने वाली महंगी राखियों की तुलना में कम नहीं हैं, क्योंकि इन राखियों में निर्मल बोध की झलक है और ये चाहरदीवारी से निकलकर उन्मुक्त गगन में उडऩे को बेताब हंै। कलावा, ऊन, मोती के अलावा घुंघरु आदि से निर्मित आकर्षक राखियों को आपके प्यार का इंतजार है। आपके द्वारा खरीदी गई इन राखियों से इनका हौसला तो बढ़ेगा ही साथ ही उत्साह की वृद्धि भी होगी।