गोरखपुर (ब्यूरो)। उन्होंने बताया कि मुंह के कैंसर के कई लक्षण है। लंबे समय तक रहने वाले मुंह के छाले, सफेद या लाल रंग के दाग धब्बे, गर्दन में गांठ और वजन घटना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा मुंह से खून आना, दांतों का ढीला होना भी इसके लक्षण हैं। राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के अवसर पर मुंह के कैंसर को लेकर कार्यशाला का आयोजन इंडियन डेंटल एसोसिएशन और सिनर्जी इंस्टीट्यूट ने संयुक्त रूप से किया था।
इस दौरान कैंसर सर्जन डॉ। आलोक तिवारी व आंकोलॉजिस्ट डॉ। सौरभ मिश्रा ने बताया कि आमतौर पर ओरल कैंसर के मरीज सबसे पहले दंत चिकित्सक और नाक कान गला के डॉक्टर के पास जाते हैं। कैंसर की इस समय से पहचान होने पर उसका पूरी तरह इलाज संभव है। इससे कम खर्चे में मरीज को सटीक इलाज हो सकता है। मरीज की जान बच सकती है। महिला कैंसर की विशेषज्ञ डॉ। अंजलि जैन ने बताया कि कैंसर से डरने की नहीं बल्कि हर व्यक्ति को जागरूक रहने की जरूरत है। प्लास्टिक सर्जन डॉ। नीरज नथानी ने कैंसर के ऑपरेशन के बाद पुनर्निर्माण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ओरल कैंसर में जबड़े और चेहरे के मांस का एक बड़ा हिस्सा काटकर निकाल दिया जाता है। इन विकृतियों के पुनर्निर्माण के लिए सीने व जांघ की मांसपेशियों को काटकर चेहरे पर ग्राफ्ट किया जाता है। इस सर्जरी के दो महीने बाद चेहरा सामान्य जैसा दिखने लगता है। सेमिनार में आईडीए के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ। उमेश शर्मा, सेक्रेटरी डॉ। सचिन प्रकाश, जिला अध्यक्ष डॉ। चेन कोवाई, सचिव डॉ। अनुराग श्रीवास्तव, कैंसर सर्जन डॉ। गौरव पोपली, डॉ। जेएन शुक्ला, डॉ। अमित कुमार, डॉ। पीके माथुर, डॉ। अमित सिंह, डॉ। सिद्धार्थ त्रिपाठी, डॉ। संजीव श्रीवास्तव, डॉ। अमित करमचंदानी, डॉ। राजकुमार सिंह, डॉ। आशीष शाही, डॉ। कोशिका टंडन, डॉ। गरिमा श्रीवास्तव व डॉ। मोनिका मिश्रा मौजूद रहे।