मासूमों पर नहीं खाई तरस, दीवारों में सिर पटक कर ले ली जान

बावरियां गैंग की हरकत से महीनों गायब रही मोहल्ले के लोगों की नींद

-क्राइम फाइल्स

शहर की वह एक ऐसी पहली घटना थी जिससे लखनउ भी हिल उठा। रोजाना पुलिस अधिकारियों के घनघनाते और डीजीपी हेड क्वार्टर से सवाल पर सवाल पूछे जाते। लेकिन यहां के अफसर न तो मुनासिब जवाब दे पाते। न ही खुद को तसल्ली, क्योंकि वारदात ही ऐसी हुई थी कि हत्यारों को खोजकर पकड़ने की चुनौती से पुलिस जूझ रही थी। इसी सामूहिक मर्डर के बाद बावरियां गैंग के बारे में पुलिस को जानकारी मिली। दिन में भिक्षाटन के बहाने पहुंचे गैंग के सदस्यों ने जिस फैमिली में बैठकर खाना खाया। उनसे कतई उम्मीद नहीं थी कि वह रात में होने पर घर में खून की नदियां बहा देंगे। बात 20 नवंबर 2000 की है जब रूस्तमपुर के शिवाजी नगर कॉलोनी में रहने वाले बैंक कर्मचारी राकेश राय की फैमिली के सात लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था। घर में घुसे हत्यारों ने मासूम बच्चों को दीवारों पर पटक-पटक करके जान ली। हत्यारों के वहशीपन को लोग को महीनों नहीं भूल पाए। उस दिन जो भी घर में पहुंचा उसे खुद को संभालने में काफी वक्त लग गया। एक परिवार, सात हत्याएं और मासूमों के हुई बेरहमी देखकर बस एक ही सवाल लोग पूछते रहे कि कौन हो सकता है जिसने इस वारदात को अंजाम दिया।

दरवाजा खुला देखकर घुसे

शिवाजीनगर मोहल्ले में राकेश राय का मकान है। छठ पूजा के दूसरे दिन सुबह-सुबह उनके घर का दरवाजा खुला देखकर लोग चक्कर में पड़ गए। जो भी भीतर गया वह चिल्लाते हुए बाहर आया। कमरों में पसरा खून, जहां-तहां पड़ी डेड बॉडी देखकर लोग दहल उठते थे। इन सब के बीच जिंदगी और मौत से जूझ रही राकेश की बेटी तड़पती मिली। उसे पुलिस ने हॉस्पिटल में एडमिट कराया। सिर में लगी चोट से वह कई माह तक सदमे में रही। सदमे में बच्ची नहीं, बल्कि आसपास मोहल्ले के लोग भी आ गए थे। फैमिली के मुखिया, उनकी पतनी, दो बेटों, बहू और बच्चों सहित सात लोगों की डेड बॉडी का हश्र देखने वाले लोग महीनों रात में चैन की नींद नहीं सो पाए थे।

दिन में खाया खाना, रात में परिवार को मार डाला

तब शिवाजी नगर मोहल्ले में बेहद की कम मकान बने हुए थे। आसपास काफी इलाका भी खाली था। वारदात वाले दिन में ही बदमाशों ने राकेश के घर की रेकी कर ली। रेकी करने के लिए भीख मांगने के बहाने बावरियां गैंग के सदस्य पहुंचे। उनके भूखे होने पर परिवार की महिलाओं ने भोजन कराया। दिन में खाना खाकर बेहरम कातिल आशीर्वाद देते हुए घर से चले गए। लेकिन रात में दोबारा पहुंचे बदमाशों ने एक-एक करके सात लोगों की जान ले ली। कातिलों ने पहले राकेश को मारा। फिर उनके बच्चों की हत्या कर दी। परिवार के सभी सदस्यों के मर्डर की एक मात्र गवाह बची बेटी जब होश में आई तो उसने पुलिस को बताया कि उसकी आंखों के सामने एक-एक करके सभी को मौत को घाट उतारा गया। तत्कालीन पुलिस अधिकारियों की जांच में पहली बार बावरियां गैंग के बारे में जानकारी मिली।

हर साल जारी होता अलर्ट, दीपावली के आसपास खतरा

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि सात लोगों की हत्या में पहली बार बावरियां गैंग के सदस्यों को पकड़ा गया। तभी से हर साल जिले में बावरियां गैंग के बारे में अलर्ट जारी होता है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार इस गैंग के सदस्य दीपावली की पूजा कर वारदातों को अंजाम देते हैं। इस गैंग के लोग जब वारदात करने निकलते हैं तो रास्ते में किसी बिल्ली के मिल जाने पर वापस हो जाते हैं। इसके अलावा ये कई तरह के टोटके अपनाते हैं।

ये होते बावरियां

-बावरिया गैंग में शामिल बदमाश खानाबदोशों की तरह जीवन बिताते हैं।

-गैंग में एक कुलगुरु होता है जो हर साल अमावस्या की रात पूजा कराकर बलि चढ़ाता है।

-इसी पूजा के बाद इनका सीजन शुरू होता है। किसी भी टारगेट को पूरा करने के पहले इस गैंग के लोग शुभ और अशुभ को लेकर विचार करते हैं।

- वारदात के पहले गैंग के सदस्य किसी न किसी बहाने से अपने टारगेट की रेकी कर लेते हैं।

-भीख मांगने, फूल, रुमाल, खिलौना बेचने या अन्य किसी दूसरे बहानों से ये घरों की रेकी करते हैं।

-घर में कितने सदस्य हैं, वे कब आते हैं और कब जाते हैं इस बारे में पूरा पता लगा लेते हैं।

-घटना को अंजाम देने के पहले कुल गुरु मौके का मुआयना करता है। फिर वह फाइनली बताता है कि वारदात करना या है नहीं।

-इनके निशाने पर अक्सर आउट स्कर्ट में बने मकान होते हैं। लूटपाट के दौरान मर्डर और खून बहाना जरूरी होता है।

एक बाद एक, कई घटनाएं आई सामने

वर्ष 2000 में राकेश राय के मकान में हुई वारदात के बाद शहर में बावरियां गैंग ने कई घटनाओं को अंजाम दिया। 21 अक्टूबर 2001 की रात इन लुटेरों ने गोरखनाथ थाना क्षेत्र के वृंदावन कालोनी में एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या और एक युवक को गंभीर रूप से घायल कर लूटपाट किया। अक्टूबर 2010 में बावरिया लुटेरों ने गुलरिहा थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर निवासी संजीव श्रीवास्तव के घर पर धावा बोलकर परिवार के सभी लोगों को घायल करने के बाद लूटपाट की। वर्ष 2011 में चिलुआताल के ग्रीन सिटी में एक युवक की हत्या कर उसके घर में लूटपाट की थी।