गोरखपुर (ब्यूरो)। डॉ। तपस आईच ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान के विकास में मानसिक चिकित्सा का अहम रोल रहा है। चिकित्सा विज्ञान के शुरुआत में यह मेडिसिन विभाग से जुड़ा था। जिस बीमारी का कारण डॉक्टर समझ नहीं पाते थे, उसे मानसिक बीमारी की श्रेणी में डाल देते थे। इसका सबसे सटीक उदाहरण मिर्गी है। मिर्गी को आज से चार दशक पूर्व तक मानसिक बीमारी माना जाता था। चिकित्सा विज्ञान के विकास के बाद यह नसों से संबंधित बीमारी की श्रेणी में आ गया। अब इसका इलाज न्यूरोलॉजी में होता है। इस तरह की और भी एक दर्जन प्रकार की बीमारियां हैं। सेमिनार में मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। आमिल हयात खान, मनोचिकित्सक डॉ। अभिनव श्रीवास्तव और डॉ। प्रभात अग्रवाल मौजूद रहे।