आधे में कार पार्किंग, आधे में धरना प्रदर्शन

कलेक्ट्रेट कैंपस में डीएम आफिस के सामने बने शहीद उद्यान को दो साल पहले पार्किग बना दिया गया। शहीद पार्क में पार्किंग बनाने को लेकर हंगामा खड़ा हुआ तो तत्कालीन डीएम ने शहीद स्मारक वाले हिस्से को अलग कराया। लेकिन प्रशासन की अनदेखी की वजह से शहीद पार्क बदहाल होता चला गया। बोर्ड झाड़ियों के बीच खो गया। घासफूस की सफाई नहीं होती है। उद्यान में व्हीकल के खड़े होने के बाद बची जगह पर पब्लिक धरना प्रदर्शन करती है।

चबूतरे के पीछे करते हैं नेचुरल काल

शहीद उद्यान में बना चबूतरा भी बदहाली की गाथा सुनाता है। दिन में कलेक्ट्रेट कैंपस में आने वाले लोग चबूतरे के पास नेचुरल काल करते हैं। हद तो तब हो जाती है जब प्रशासन और पुलिस आफिस के लोग भी वहां खाली जगह देकर नेचुरल काल करने पहुंच जाते हैं। दिन भर यह सिलसिला चलता रहता है। धरना- प्रदर्शन करने वालों के लिए यह जगह ज्यादा काम आती है।

कौन है शहीद मेजर उदय सिंह

पार्क की दुर्दशा देखकर रिपोर्टर ने यह जानने का प्रयास किया कि ये मेजर उदय सिंह कौन हैं? इनका गोरखपुर से क्या रिश्ता है। लेकिन इस संबंध में कलेक्ट्रेट के कर्मचारी कुछ नहीं बता सके। सभी एक दूसरे से पूछने की बात कहकर इसको टालते रहे। कुछ लोगों ने बताया कि 2003 में 29 नवंबर को जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए मेजर के नाम से पार्क बनाया गया है। मेजर उदय सिंह का जन्म सात अक्टूबर 1974 को इलाहाबाद में हुआ था।

दुर्दशा की बात सुनकर फफक पड़ीं मां

कलेक्ट्रेट से सही जानकारी न मिलने के बाद इंटरनेट की मदद से शहीद के बारे में जानकारी की कोशिश की गई। नेट पर मौजूद शहीद मेजर उदय सिंह पेज पर अवलेबल नंबर पर नोयडा में रहने वाले फैमिली मेंबर्स को काल किया गया तो मां सुधा ने फोन उठाया। उन्होंने बताया कि गोरखपुर में बेटे के नाम से स्मारक है। उपेक्षा की बात सुनकर वह फोन पर फफक पड़ीं।

शहीद पार्क की उपेक्षा एक गंभीर मामला है। इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। पार्क को देखकर वहां की व्यवस्था ठीक की जाएगी।

आरके तिवारी, सिटी मजिस्टे्रट

शहीदों और उनके पैरेंट्स को सम्मान देने की बात करने वाले शासन प्रशासन के लोग भूल जाते हैं। शहीदों के सम्मान में बने पार्क और स्मारकों की उपेक्षा का दंश चुभता है। गवर्नमेंट की लापरवाही से तकलीफ होती है।

सुधा, शहीद मेजर उदय सिंह की मां