-अधूरे एसटीपी के डीपीआर भेजने पर शासन ने लगाई फटकार

-वापस भेजा डीपीआर, कहा पूरा करके भेजो फिर होगी योजना स्वीकृत

GORAKHPUR: शहर में जल निगम डीपीआर-डीपीआर खेल रहा है और पब्लिक आने वाले बारिश में जल जमाव की समस्या को झेलने की तैयारी कर रही है। पिछले एक साल में शहर में तीन जगहों पर एसटीपी बनाने की योजना अमृत योजना के तहत बनी, लेकिन स्थिति यह है कि अभी तक केवल एक ही एसटीपी और सीवरेज की स्वीकृत मिल पाई। यह कार्य जल निगम की लापरवाही के कारण पब्लिक को इस साल भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

15 नाले गिरते हैं राप्ती नदी में

नगर निगम के आंकड़ों की माने तो शहर में 239 छोटे-बड़े नाले हैं। यह नाले एक जगह एकत्रित होकर 21 नालों की मदद से शहर का गंदा पानी बाहर निकालते हैं। इसमें छह नाले रामगढ़ताल में और 15 नाले राप्ती नदी में गिरते हैं। राप्ती नदी में गिरने वाले नाले सामान्य मौसम में सीधे नाले का पानी रास्ते राप्ती नदी में गिरते हैं, जबकि बारिश के मौसम में बाढ़ आने के बाद यह नाला बंद हो जाता है और शहर का पानी पंपिग सेट की मदद से राप्ती नदी में फेंका जाता है। वहीं, झुगियां के किनारे से लेकर विकास नगर, बरगदवां, जंगल नकहा, लच्छीपुर और सोनौली रोड के किनारे के एरिया का पानी सीधे चिलुआताल में चला जाता है। इस ताल का पानी रोहिन नदी में मिलता है और रोहिन राप्ती नदी में मिली जाती है ।

433 करोड़ रुपये से बनना है तीन एसटीपी

राप्ती नदी में गिरने वाले नालों के पानी को साफ करने के लिए दो और चिलुआताल में एक एसटीपी बनाने की योजना है। जल निगम की तरफ से इसका डीपीआर तैयार किया गया है। इसमें राप्ती नदी के दोनों एसटीपी की लागत 360 करोड़ रुपए है, जबकि चिलुआताल के एसटीपी 73 करोड़ की लागत से चिलुआताल के एसटीपी का प्रस्ताव है। इस एसटीपी का प्रस्ताव अमृत योजना के तहत शासन को भेजा गया है। जल निगम ने पूरे एसटीपी का डीपीआर तैयार किया है। इस योजना में डेली 81 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) पानी साफ करके राप्ती और चिलुआताल में गिराएगा। साथ ही इन तीनों एसटीपी को जोड़ने के लिए 1361 किमी लंबी सीवर पाइप लाइन भी बिछाया जाएगा।

इसलिए वापस अा गई फाइल

जल निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि आठ माह पहले चिलुआताल और सुभाषचंद बोस नगर कॉलोनी की तरफ का डीपीआर बना। इस डीपीआर में केवल एसटीपी की डीपीआर बनाकर शासन को भेज दिया गया था, जिसके कारण शासन ने यह कह कर लौटा दिया कि शासन ने पूरी योजना की डीपीआर मांगी थी, केवल एसटीपी की नहीं। ऐसे में अब यह योजना चार से पांच माह लेट हो जाएगी। इसका पूरा मामला है कि आने वाली बारिश का पानी नालों से ही जाएगा।