- अब तक ज्यादातर बेसिक स्कूल्स के लिए नहीं आईं किताबें, कॉपी व जूता-मोजा

- स्कूल में बने बुक बैंक से पढ़ने को मजबूर नए स्टूडेंट्स

GORAKHPUR: बेसिक स्कूल्स में नाम लिखवाकर बेहतर भविष्य का सपना बुन रहे नौनिहालों को किताब तक नसीब नहीं है। तमाम कवायदों के बाद भी अब तक जिले के ज्यादातर बेसिक स्कूल्स के छात्रों को नईं किताबें नसीब नहीं हो सकी हैं। लिहाजा, मजबूरन इन स्कूल्स में बुक बैंक की किताबों के सहारे ही पढ़ाई चल रही है। छात्रों के लिए अब तक यूनिफॉर्म का इंतजाम भी नहीं हो सका है। वर्तमान स्थिति ये है कि अप्रैल महीना बीत गया, लेकिन आज भी छात्र स्कूल में बने बुक बैंक में रखीं पुरानी किताबों से पढ़ने को मजबूर हैं। जबकि 15-20 दिन में समर वेकेशन होने वाला है।

शिक्षकों को नसीहत, व्यवस्था का जिक्र नहीं

डीडीयूजीयू के दीक्षा भवन में मंगलवार को सहायक अध्यापक पद के लिए नियुक्ति प्रमाण पत्र वितरण के दौरान शिक्षकों को नसीहत दी गई कि वे अपनी योग्यता साबित कर शिक्षा का स्तर सुधारें। लेकिन इस दौरान मौजूद रहीं बेसिक शिक्षा, बाल विकास पुष्टाहार, राजस्व एवं वित्त राज्य मंत्री अनुपमा जायसवाल एक बार भी बेसिक स्कूल्स के छात्रों के किताब-कॉपी या ड्रेस को लेकर कुछ नहीं बोलीं। हालांकि वे शिक्षा को लेकर सरकार की उपलब्धियां गिनाती रहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता है। नव नियुक्त शिक्षक संकल्पबद्ध होकर कार्य करें ताकि नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा मिल सके। उन्होंने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ को धन, पद, सत्ता और प्रतिष्ठा नहीं चाहिए। बल्कि वे चाहते हैं कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो और प्रदेश का समुचित विकास हो।

फैक्ट फिगर

जिले में कुल प्राथमिक विद्यालय की संख्या - 3251

इस सेशन में नामांकन - 369428

अब तक वितरित की गईं किताबें - 369428

अब तक वितरित किए गए यूनिफॉर्म - 369428

अब तक वितरित किए गए स्कूल बैग - 293667

अब तक वितरित किए गए जूता-मोजा - 293667

बॉक्स

क्या है बुक बैंक

बेसिक स्कूलों में किताबों के शॉर्टेज के कारण शिक्षा विभाग भी परेशान है। शिक्षा विभाग के पास आए दिन इस बात की शिकायत आ रही है कि जो नए नामांकित छात्र हैं, उन्हें किस किताब से पढ़ाया जाए। इस पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का यही तर्क होता है कि जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं उनकी किताबों को रखा जाए और बुक बैंक बनाया जाए। लेकिन जो पुरानी किताबें हैं भी, वे भी पढ़ाने योग्य नहीं हैं।