गोरखपुर (संतोष गिरी).सीए गोरखपुर चैप्टर के सचिव राशिद मुस्तफा के अनुसार इससे पहले मार्च में 20 से 50 करोड़ के टर्नओवर वाले टैक्सपेयर्स के लिए रजिस्ट्रेशन और लॉगिन की सुविधा को सक्षम किया था। वहीं, 1 अप्रैल 2022 से बोर्ड ने जीएसटी ई-चालान की सीमा को 50 करोड़ से घटाकर 20 करोड़ कर दिया था। पिछले साल 1 अप्रैल से, 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनियां बीटूबी इनवॉयस जनरेट कर रही थीं। जिसे अब बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए लागू हुआ है। किसी कारणवश अगर ई-इनवॉयस नहीं जनेरट कर पाते है तो उनको पेनॉल्टी का सामना करना पड़ेगा।

मकसद टैक्स चोरी रोकना

सीए के अनुसार सरकार लगातार गुड्स एंड सर्विस टैक्स में बदलाव कर हैं। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद टैक्स चोरी को कम करना है। इसको लेकर अक्टूबर 2020 में सरकार ने यह फैसला लिया था कि ऐसी कंपनी जिनका टर्नओवर 500 करोड़ से ज्यादा है, उन्हें अपने बीटूबी लेनदेन पर ई-चालान जनरेट करना जरूरी होगा।

ई-इनवॉयस पोर्टल पर देनी होगी जानकारी

अक्टूबर से पहले यह लिमिट 20 करोड़ है। जिसे सीबीडीटी ने फिर से घटाकर 10 करोड़ करने का फैसला किया है। बता दें, गुड्स एंड सर्विस टैक्स टैक्स पेयर्स ऑनलाइन ई ई-इनवॉयस रजिस्ट्रेशन पोर्टल के जरिए भेज सकेंगे। ऐसा करने से बिल बनाने में होने वाली गलतियों की संभावना कम हो जाएगी। इनवॉयस के तहत करदाताओं को अपनी आंतरिक प्रणाली के जरिए बिल निकालना होता है और इसकी जानकारी ऑनलाइन इन्वॉयस पंजीकरण पोर्टल (आईआरपी) को देनी होती है।

अक्टूबर 2020 से लागू है। बीटूबी कंपनी जिसका 10 करोड़ से अधिक का टर्नओवर है। उन्हें ई-इनवॉयस जनरेट करना है। नहीं करने पर सरकार पेनॉल्टी लगा देगी।

सीएम राशिद मुस्तफा, सचिव, गोरखपुर चैप्टर

ग्रामीण एरिया के व्यापारियों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ेगा, क्योंकि वे ज्यादा टेक्निकल नहीं होते है। ई-इनवॉयस जनरेट करना परेशानी साबित होगा।

अनूप अग्रवाल, अध्यक्ष, चैम्बर ऑफ ट्रेडर्स

सरकार ई-इनवॉयस के जरिए टैक्स चोरी कम करना चाह रही है। बड़े व्यापारियों पर सरकार की निगाह है, इसे लिए सरकार को साथ दें।

महेश वर्मा, महामंत्री, सराफा मंडल गोरखपुर

आज पता चला है ई-इनवॉयस अनिवार्य हुआ है। सरकार को व्यापारियों के हित का ध्यान देना चाहिए। व्यापारी ही अधिक से अधिक टैक्स देता है।

मनीष सराफ, महामंत्री, चेंबर ऑफ टेक्सटाइल्स